वहीं दूसरी ओर आगार के एक के बाद एक अधिकारियों-कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति का दौर जारी है। चौंकाने वाली बात है कि टोंक आगार के सेवानिवृत्त कार्मिकों को पेंशन व अन्य परिलाभ नहीं मिल पा रहे। इसका कारण रोडवेज के बढ़ते घाटे को बताया जा रहा है।
जबकि एक जनवरी 2015 से एक अब तक पांच दर्जन रोडवेजकर्मी व अधिकारी सेवानिवृत्ति की राह थाम चुके हैं। इतना ही नहीं आगामी 31 जुलाई को आगार के 7 रोडवेजकर्मी व अगस्त में चार चालक-परिचालकों का कार्यकाल पूरा होने वाला है। कार्मिक इस बात को लेकर परेशान है कि घाटे का हवाला देते हुए निगम मुख्यालय की ओर से उन्हें पेंशन व अन्य बचत राशि से लाभान्वित नहीं किया गया।
ये परिलाभ अटके
सेवानिवृत्त रोडवेज कार्मिकों को ग्रेच्युटी, नाइट ओवर टाइम, साप्ताहिक अवकाश, जीएच, सीपीएफ के भुगतान का इंतजार है। साथ ही रोडवेजकर्मिकों को समय पर वेतन भी नहीं दिया जा रहा। कर्मचारियों की स्थिति
टोंक आगार में करीब 151 चालक, 170 परिचालक, 44 मिस्त्री, 8 तकनीकी कर्मी समेत 18 कार्यालयकर्मी कार्यरत हैं। इसके साथ ही जिलेभर में विभिन्न स्थानों पर 35 बुकिंग क्लर्क कार्यरत हैं। इन्हें वेतन के रूप में हर माह 80 लाख रुपए से अधिक की राशि दी जाती है।
फैक्ट फाइल 62 रोडवेजकर्मियों के पेंशन व परिलाभ बकाया 01 जनवरी 2015 से तरस रहे बचत राशि को 04 करोड़ 38 लाख 36 हजार की अटकी राशि कर्मचारी नौकरी कर बचत करता है। सेवानिवृत्ति के बाद भी उसे पेंशन परिलाभ नहीं देना गलत है।
चालक दुर्गालाल, सेवानिवृत्ति 31 मई 2017
खुद की राशि के लिए भी टरकाना अन्याय है। इससे कार्मिकों में रोडवेज अधिकारियों के प्रति नाराजगी है।
रामावतार, परिचालक, सेवानिवृत्ति 30 जून 2016
कर्मचारियों को रोडवेज समय से पेंशन व अन्य परिलाभ राशि दे, अन्यथा आन्दोलन की तैयारी करेंगे।
राधेश्याम मीणा, सेवानिवृत्त सहायक सम्भाग प्रबन्धक।
पूरे प्रदेश की है समस्या
समस्या टोंक आगार की नहीं प्रदेश स्तरीय है। परिलाभ नहीं मिलने के पीछे रोडवेज का घाटा है। हालांकि परिलाभ दिलाने के लिए उच्चाधिकारियों को लिखा है।
रामचरण गौचर, मुख्य आगार प्रबन्धक टोंक।