पायलट ने कहा कि किसान पिछले कई सप्ताह से दिल्ली की सीमा पर धरना दे रहे हैं। अगर कानून किसानों के हित में होते तो किसान सर्द मौसम में धरना नहीं देते। कई किसान आत्महत्या कर चुके हैं। सभी तरफ केन्द्र सरकार के इस कदम का विरोध हो रहा है। वहीं कानून के तहत समर्थन मूल्य को भी खत्म कर दिया है।
24 विपक्षी दल विरोध मेंपायलट ने कहा कि देश के 24 विपक्षी दल केन्द्र सरकार द्वारा पारित किसान कानून के विरोध मेें एकजुट है। सभी का तीनों कानून को वापस लिए जाने की मांग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार से अकाली दल व रालोपा ने समर्थन वापस ले लिया है।
पायलट ने कहा कि अकाली दल से सरकार में एक मंत्री तो इस्ताफा दे दिया है। और भी मंत्री इस्तीफा दे रहे हैं। इसके बावजूद भी सरकार किसानों का दुखदर्द नहीं समझ रही है। 50 से ज्यादा किसान कर चुके आत्महत्यापायलट ने कहा कि कानून बनाने से पहले ना तो राज्य सरकार और ना ही किसानों से चर्चा की गई। जबरदस्ती और जल्दबाजी में संसद में विधायेक को पारित कर दिया। लगभग 50 से ज्यादा किसानों ने आत्महत्या कर ली।
अगर किसानों के हित में ही कानून होते तो किसान धरना क्यों दे रहे हैं? विश्वभर में इसकी आलौचना हो रही है। कांग्रेस का निवेदन है कि कानून को वापस ले ले। किसान से चर्चा करे। सर्मथन मूल्य को वर्ष 1947 से सरकार की ओर से दी है। उसे लिखित में ले। इससे पहले कानून को वापस ले। सिर्फ किसान ही नहीं, पल्लेदार, मंडी आड़तियां इससे परेशान है। बल्कि मंडी को बढ़ाया जाना चाहिए। तर्क है कि जो 4 बोरी अनाज पैदा करने वाला है वह शहर में जाकर अनाज बेचेगा।
गांवों में किया दौरा
पायलट ने चंदलाई, लवादर, घास, हरचंदेड़ा, बमोर, सोनवा, अरनियामाल, काबरा, ताखोली, सांखना, छान, दाखिया तथा लाम्बा में जन सम्पर्क किया। पायलट सोमवार सुबह 11 बजे सोरण, साढ़े 11 बजे देवपुरा, दोपहर 12 बजे अरनियाकेदार, एक बजे मंडावर, डेढ़ बजे देवली-भांची, दो बजे हथौना, ढाई बजे पराना तथा तीन बजे बरोनी में जन सम्पर्क करेंगे।