सरपंच संघ के जिलाध्यक्ष मुकेश मीणा के नेतृत्व में सौंपे ज्ञापन में बताया कि राज्य सरकार के दो वर्ष के कार्यकाल में प्रशासनिक अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों ने पंचायतीराज संस्थाओं के प्रशासनिक एवं वित्तिय हितों पर प्रहार किया है।
केन्द्रीय वित्त आयोग की राशि के अतिरिक्त राज्य वित्त आयोग का एक रुपए भी ग्राम पंचायतों को हस्तांतरित नहीं किया गया। राज्य वित्त आयोग पंचम की सिफारिशों के अनुसार वर्ष 2019-20 में 4000 करोड़ रुपयों में भी राशि हस्तांतरित नहीं की गई है।
मुकेश मीणा ने बताया कि ग्राम पंचायतों के ब्याज रहित पीडी खाते खोल दिए और खाते की कस्टोडियन राज्य सरकार की होती है। ऐसे में ग्राम पंचायतों को संवैधानिक रूप से जो वित्तिय स्वतंत्रता प्राप्त थी, वह समाप्त की जा रही है।
ऐसे में सरपंच संघ ने पंचायतीराज के इस नियम की निंदा कर निर्णय किया है कि कोई भी सरपंच कोषालय एवं उप कोषालय में डीडीओ कोड जनरेट नहीं कराएगा। ना ही लॉगिन आइडी बनाने के लिए दस्तावेज प्रस्तुत करेगा। उन्होंने ज्ञापन में दी गई सभी मांगों को निस्तारण करने को कहा है।
ऐसा नहीं होने पर 21 जनवरी को ग्राम पंचायतों पर सांकेतिक तालाबंदी व विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। आगामी आंदोलन की रणनीति के लिए 30 जनवरी को बैठक आयोजित की जाएगी। ज्ञापन देने से पहले जिले के सरपंच डाक बंगले में एकत्र हुए।
जहां से वे रैली के रूप में कलक्टे्रट पहुंचे। जहां प्रदर्शन कर मुख्यमंत्री के नाम जिला कलक्टर को ज्ञापन सौंपा गया। ज्ञापन सौंपने वालो में मेहरू सरपंच बालू, मुरली पवालियां, रामपाल बावड़ी, गोकुल, मुकेश मीणा, जगराज सिंह, टोंक ब्लॉक अध्यक्ष हंसराज फागण, उनियारा ब्लॉक अध्यक्ष नेमीचंद सुरियावा, सरपंच आरडी गुर्जर आदि शामिल थे।