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टोंक

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बनास में थमा मशीनों का शोर

पर्यावरण मंत्रालय की एनओसी नहीं मिलने के कारण सुप्रीम कोर्ट ने बजरी खनन पर रोक लगा दी।
 

टोंकNov 18, 2017 / 07:33 am

pawan sharma

बजरी खनन बंद होने से राजमहल के समीप सुनसान पड़े के बजरी पेडे।

 
टोंक. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद जिले से गुजर रही बनास नदी में शुक्रवार को बजरी का खनन नहीं हुआ। इसके चलते बनास नदी में सन्नाटा पसरा रहा। दिन रात चल रही मशीनें किनारे खड़ी रही। ऊंटगाड़ी तथा ट्रैक्टर-ट्रॉली से ही बजरी शहर तक आती रही। इसके चलते बजरी की कीमत बढ़ा दी गई।
 

इससे भवन निर्माण पर असर पड़ा है। जयपुर , हरियाणा व दिल्ली समेत अन्य शहरों के लिए बनास नदी से प्रति दिन दो हजार ट्रक बजरी भरकर जाते हैं। इससे हाइवे पर वाहनों की आवक बनी रहती है, लेकिन रोक लगने के बाद ट्रकों के पहिए भी थम गए। गौरतलब है कि पर्यावरण मंत्रालय की एनओसी नहीं मिलने के कारण सुप्रीम कोर्ट ने बजरी खनन पर रोक लगा दी।
 

बजरी के दामों में भी बढ़ोतरी
राजमहल . क्षेत्र के राजमहल, बोटून्दा, नयागांव, सतवाड़ा आदि गांवों से गुजर रही बनास नदी में ट्रक व ट्रैक्टरों की रफ्तार थमने से सन्नाटा पसरा रहा। खनिज विभाग की टीमों ने अलग-अलग क्षेत्रों में पहुंचकर खनन के लिए चल रही जेसीबी व एलएण्डटी मशीनें बनास से बाहर करा दी।
 

इससे बनास नदी में लोगों की चहल-कदमी भी बंद हो गई। बजरी परिवहन करने वाले ट्रक व टै्रक्टर राष्ट्रीय राजमार्ग किनारे खड़े रहे। इधर, रॉयल्टी भी बंद होने से बनास के समीप गांवों के ट्रैक्टर चालक नजर बचाकर रात में बजरी का खनन करते रहे। खनन बंद होने से बजरी के दामों में भी बढ़ोतरी हुई है। बजरी की एक ट्रैक्टर-ट्रॉली पहले 1400 रुपए में बेची जाती थी। अब ये 2000 रुपए में बेची जा रही है।

ली चैन की सांस
बनास नदी के करीबी गांवों के लोगों ने बजरी खनन बंद होते ही खुशी की लहर दौड़ गई। जहां मुख्य मार्गों से बेखौफ दौड़ते ट्रक व ट्रैक्टरों से उड़ती धूल को लेकर ग्रामीण दिनभर परेशान रहते थे, वहीं हादसे की चिंता सताती रहती थी। खनन बंद होते ही मुख्य मार्गों पर भी सन्नाटा रहने से लोगों ने चैन की सांस ली है।
 

सन्नाटा पसरा रहा
बंथली.चौबीस घंटे वाहनों, मशीनों व मजूदरों के शोर-शराबे से आबाद रहने वाली वाली बनास नदी व इससे निकल रहे मार्गों पर सन्नाटा पसरा रहा। पुलिस व खनिज विभाग के अधिकारी गुरुवार आधी रात से ही नदी में गश्त करते रहे। इसके बावजूद कुछ वाहन चालक चोरी छिपे खनन कर बजरी ले जाने मेें सफल हो गए।
 

आशियाना बनवाने की आस लिए लोग व भवन निर्माण से जुड़े ठेकेदार बजरी के लिए भटकते रहे। बजरी वाहनों की रॉयल्टी काटने व जांच को लेकर लीजधारियों की ओर से लगाए गए बजरी नाकों पर भी वीरानी छाई रही। रॉयल्टी कार्मिक टैंटों में सुस्ताते रहे।
 

खनन बंद होने के बाद नदी पेटे लगी होटल व दुकानों पर सूनापन रहा। खनन बंद होने से श्रमिक बेरोजगार हो गए। श्रमिकों ने बताया कि बजरी खनन के कार्य में ली जा रही मशीनों से पर्यावरण प्रदूषित होता है। ऐसे में मशीनें बंद कराकर खनन करने की इजाजत मिलती है तो प्रदूषण से निजात मिलेगी।

ये बढ़े दाम
रोक के बाद शहर में बजरी की कीमतें आसमान छू गई। पूर्व में अमूमन डेढ़ सौ फीट बजरी से भरी ट्रैक्टर-ट्रॉली 700 रुपए में आ जाया करती थी, जो अब 22 सौ से 25 सौ रुपए तक हो गई है। दो सौ रुपए में आने वाली ऊंटगाड़ी पर 50 रुपए बढ़ गए हैं।

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