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भगवान का अभिषेक व शांतिधारा करके साल भर जाने-अनजाने में हुई गलतियों की एक-दूसरे से क्षमा मांगी

locationटोंकPublished: Sep 26, 2018 01:14:24 pm

Submitted by:

Kamal Bairwa

टोंक. श्री चंद्रप्रभु दिगंबर जैन मंदिर पुरानी टोंक में भगवान का अभिषेक एवं शांतिधारा के बाद विधान की पूजा के समापन अवसर पर महा अध्र्य चढ़ाया गया।

श्रद्धालु

टोंक में क्षमावाणी पर्व पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान मौजूद श्रद्धालु।

टोंक. श्री चंद्रप्रभु दिगंबर जैन मंदिर पुरानी टोंक में प्रात: भगवान का अभिषेक एवं शांतिधारा के बाद तेरह दीप विधान की पूजा के समापन अवसर पर महा अध्र्य चढ़ाया गया। समाज के प्रवक्ता राजेश अरिहंत ने बताया कि शाम को पुरानी टोंक स्थित पांचों मंदिर से श्री जी को गाजे-बाजे के साथ पाश्र्वनाथ भवन लाकर समोशरण में विराजमान किया गया। इसके बाद पूजा कर भगवान आदिनाथ, भगवान पाश्र्वनाथ, भगवान नेमिनाथ, भगवान शांतिनाथ, भगवान चंद्रप्रभु के सामूहिक कलशाभिषेक किए गए। क्षमावाणी पर्व के तहत छोटों ने बड़ों के पांव छू कर क्षमा मांग कर आशीर्वाद लिया उपस्थित जैन समाज के लोगों ने एक दूसरों से क्षमा मांगी समाज के लोगों ने एक दूसरों से क्षमा मांगी इस अवसर पर समाज के अध्यक्ष पारसमल, मंत्री शैलेंद्र कुमार, कोषाध्यक्ष चेतन जैन, प्रकाश सोनी, अशोक छाबड़ा, पदम जैन, धनराज, अनिल, राकेश, चांदमल पाटनी सहित टोंक शहर के समस्त क्षेत्रों के जैन धर्मावलंबी पारसनाथ भवन में मौजूद थे।
मालपुरा. पर्युषण पर्व के समापन के बाद मंगलवार को मुख्यालय सहित लावा, डिग्गी, लाम्बाहरिसिंह, पचेवर, टोरडी के जैन मन्दिरों में शाम कलशाभिषेक के बाद सामुहिक

क्षमावाणी पर्व मनाया गया।
श्रद्धालुओं ने बीते वर्ष में एक-दूसरे से की गई गलतियों की क्षमा याचना मांगी तथा एक-दूसरे से गले मिलकर उत्तम क्षमा बोलते हुए क्षमावाणी पर्व मनाया। इधर जयपुर रोड स्थित पाण्डुक शिला में पं. अंकित शास्त्री ने कहा कि क्षमा वीरों का आभुषण है।
लावा में शोभायात्रा निकाली
मालपुरा. उपखण्ड के लावा ग्राम में बुधवार को दिगम्बर जैन मंदिर से भगवान के वन विहार कार्यक्रम के अन्तर्गत सुबह साढे 7 बजे बैण्डबाजे के साथ भगवान की शोभायात्रा निकाली गई। श्री पाश्र्वनाथ नवयुवक मण्डल के संरक्षक सम्पत कुमार जैन ने बताया कि माणक चौक स्थित चौधरियान मंदिर से श्रीजी की शोभायात्रा कस्बे के मुख्य मार्गों से पुरानी तहसील होती हुई नसियां पहुंचेगी। जहां विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन किया गया। इस दौरान बड़ी संख्या में जैन श्रद्धालु मौजूद थे।
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