इंद्र-इंद्राणियों एवं श्रावक श्राविकाओं ने नाचते-गाते विधान पूजन में मंत्रों के उच्चारण पर अघ्र्य अर्पित किए। विधान पूजन में सौधर्म इन्द्र, चक्रवर्ती, धनकुबेर, महायज्ञनायक, बाहुबली, यज्ञनायक, इशान इन्द्र, सानत कुमार इन्द्र, महेन्द्र आदि इन्द्र इन्द्राणियों ने भक्ति भाव में मग्न हो नाचते गाते विधान पूजन किया और अघ्र्य अर्पित किए। संस्कृत मंत्रों भजनों से पूरा परिसर भक्तिमय हो रखा है।
क्षुल्लक नयसागर ने कहा कि जैन दर्शन कहता है अपने घर के बुजुर्गों की सच्चे मन से सेवा करना ही कई जैन मुनि की सेवा करने के बराबर होता है। माता-पिता अपनी बेटियों को पढ़ा-लिखाकर योग्य बनाएं। साथ ही मांसाहार के स्थान पर हमेशा शाकाहार भोजन करें, जो कई बीमारियों से बचा सकता है।
16 स्वप्न नाटिका का मंचन
चंद्रवाटिका में समवशरण रचना के दौरान गुरुवार रात्रिं को माता शिवदेवी को 16 स्वप्न नाटिका मंचन किया गया, जिसमें पंचकल्याणक के गर्भकल्याणक का परिदृश्य दिखाया गया। तीर्थंकर माता शिवदेवी को 16 स्वप्न का मनमोहक मंचन किया गया। इसमें अष्टकुमारियों ने माता के दरबार में सेवा की। नाटिका मंचन के दौरान महिला और पुरुष श्रद्धालुओं ने भक्ति भजनों पर नृत्य किया।
चंद्रवाटिका में समवशरण रचना के दौरान गुरुवार रात्रिं को माता शिवदेवी को 16 स्वप्न नाटिका मंचन किया गया, जिसमें पंचकल्याणक के गर्भकल्याणक का परिदृश्य दिखाया गया। तीर्थंकर माता शिवदेवी को 16 स्वप्न का मनमोहक मंचन किया गया। इसमें अष्टकुमारियों ने माता के दरबार में सेवा की। नाटिका मंचन के दौरान महिला और पुरुष श्रद्धालुओं ने भक्ति भजनों पर नृत्य किया।