मुख्य वक्ता पुरोहित ने कहा मानवीय मूल्यों और सामाजिक जिम्मेदारियों का बोध कराती ये कहानियां जहां बदलते परिवेश के बाल मनोविज्ञान को परिभाषित करती है, वही मातृभाषा में रचित होने के कारण यह सीधी बाल अंतरंगता से साक्षात कराती है।
बाल साहित्य सिर्फ मनोरंजन ही नहीं करता, बल्कि बालकों को समग्र रूप से संस्कारित भी करता है। सात्विक और मूल्यवान बाल साहित्य बालक में बौद्धिक और मानसिक क्षमता का विकास करता है। एसडीएम डॉ. सूरजसिंह नेगी ने कहा कि इस तरह के बुनियादी प्रयास जो जड़ों को सीचें, मायड़ भाषा के लौकिक जुडाव का मार्ग प्रशस्त करेंगे ही, साथ ही बच्चे भी सहजता से साहित्य से जुडेंग़े।
समारोह में अमीर अहमद सुमन ने कहा कि बदलते परिवेश की आवश्यकताओं को रचनाकारो ने समझा और शब्दांकित किया। उदार मन होकर सभी बोलियों की सर्वगाही शब्दावली इस कृति को सामाजिक स्वीकृति प्रदान करेगी। शिक्षाविद सदाशिव पाराशर ने बांसुरी और माउथ ऑर्गन से रचनात्मक प्रस्तुतियां दी।
रंगकर्मी रामप्रसाद पारीक ने अपनी कला से बालकों का मन मोहते हुए कहा कि जल्द ही इन कहानियों पर नाट्य प्रस्तुति दी जाएगी। साहित्यकार प्रेमलता नागला ने अपनी बेटी की उपलब्धि पर गर्व महसूस करते हुए कहा कि बेटियों को हौसलों की उड़ान भरने के लिए सदैव प्रेरित करो।
जगदीश शर्मा, महावीर शर्मा आयुषीशर्मा, दिव्यांश शर्मा, रवि शर्मा, ललिता, शिमला, डॉ. राजल, निर्मला मीनाक्षी नागला सभी ने अतिथियों का माल्यार्पण कर, शॉल ओढ़ाकर और स्मृति चिन्ह भेंट करके स्वागत किया। इस दौरान तहसीलदार मनमोहन गुप्ता, सीबीईओ राजेन्द्र प्रसाद शर्मा, साहित्य मंच के शिवराज कुर्मी, दिनेश विजय, सवाईमाधोपुर से उमाकांत शर्मा आदि मौजूद थे। मंच संचालन दिनेश जैन ने किया।