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आयकर विभाग ने नोटिस जारी कर मांगा हिसाब, व्यापारियों में मचा हड़कम्प

locationटोंकPublished: Mar 17, 2017 10:02:00 am

Submitted by:

pawan sharma

टोंक. सरकार को नियमित टैक्स जमा कराने वाले पहले नोटबंदी और अब केन्द्रीय आयकर विभाग के शिकंजे में हैं। बैंकों व विभाग की अनदेखी का आलम ये है कि 8 नवम्बर के दिन खाते में राशि जमा कराने वाले कुछ व्यापारी भी विभाग की जांच के दायरे में हैं।

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टोंक. सरकार को नियमित टैक्स जमा कराने वाले पहले नोटबंदी और अब केन्द्रीय आयकर विभाग के शिकंजे में हैं।

टोंक. सरकार को नियमित टैक्स जमा कराने वाले पहले नोटबंदी और अब केन्द्रीय आयकर विभाग के शिकंजे में हैं। बैंकों व विभाग की अनदेखी का आलम ये है कि 8 नवम्बर के दिन खाते में राशि जमा कराने वाले कुछ व्यापारी भी विभाग की जांच के दायरे में हैं। इसके अलावा नोटबंदी के बाद खाते में लाखों रुपए जमा कराने के मामले में जिले के करीब 700 जनों को आयकर विभाग ने नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
 विभागीय मार से बचने के लिए अब ऐसे व्यापारी कर सलाहकार के यहां चक्कर लगा रहे हैं। उनकी परेशानियां कम नहीं हो रही है। एक तो बाजार में व्यापार ठप है। दूसरी ओर आयकर विभाग ने उनकी सांसें फुला दी है। 
बाद में भी जोड़ दिए

देश में नोटबंदी 8 नवम्बर रात 12 से लागू हुई। इसके बाद जो भी राशि खाते में डाली गई उसकी जानकारी बैंक तथा ने अपने पास रखनी शुरू कर दी। इसमें आयकर विभाग ने भी बैंकों से सम्पर्क कर ऐसे लोगों की जानकारी मांगी जिन्होंने नोटबंदी के बाद अधिक राशि अपने खाते में डाली।
इसके बाद जिले में 700 ऐसे लोगों को चिह्नित किया, जिन्होंने 5 लाख रुपए से अधिक राशि खाते में डाली। इसमें उन लोगों को भी शामिल कर लिया गया, जिन्होंने नोटबंदी से पहले खाते में राशि जमा करा दी। आयकर अधिवक्ताओं का दावा है कि 700 में से 650 उन लोगों को नोटिस दिया गया है, जिन्होंने 8 नवम्बर या उससे पहले खाते में राशि डाली।
 इसके अलावा नोटबंदी के बाद नए नोट जमा कराए गए उन्हें भी उसी में शामिल कर लिया गया। इस मामले में जिला आयकर अधिकारी पुरुषोत्तम शर्मा ने कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया। 
तकनीक से है अभी दूर

देश में 70 प्रतिशत लोग कृषि पर आधारित है। अधिकतर लेन-देन सीधे तौर पर ही होता है। बैंक से ऑन लाइन लेनदेन बहुत कम है। जो है वो भी व्यापारी वर्ग तक ही सीमित है। ऐसे में टोंक जिले के हालात तो और भी बदतर है। अधिकतर लोग गरीबी की रेखा के नीचे हैं। वे दिहाड़ी मजदूरी पर निर्भर हैं।
 ऐसे में इन लोगों को मजदूरी ऑनलाइन तथा जरूरत के सामान की खरीद कैसलेस में अभी लम्बा समय लगेगा। आधुनिक युग में भले ही हर हाथ में एंड्रोइड मोबाइल फोन है, लेकिन तकनीक से अभी खास तौर पर ग्रामीण क्षेत्र के लोग दूर हैं।
 देश व प्रदेश में लगे नेट के सर्वर इतने फास्ट नहीं है कि वे हर प्रक्रिया को तय समय पर पूरा कर दे। हालात ये हैं कि महीने के अंतिम सप्ताह में सभी सर्वर डाउन हो जाते हैं। ऐसे जब तक तकनीक मजबूत नहीं होगी, ऑन लाइन का मतलब नहीं रहेगा।
उभर नहीं पाया बाजार

नोटबंदी के बाद से बाजार उभर नहीं पाया है। व्यापारियों का दावा है कि व्यापार 25 प्रतिशत कम हो गया। लोग अब सोच समझकर खर्चा कर रहे हैं।

अब दे रहे हैं जवाब
नोटिस पाने वाले व्यापारी तथा अन्य लोग अब जवाब देने में जुटे हैं। उनका दावा है कि 8 नवम्बर को जो राशि खाते में डाली गई उसे भी बाद में जमा कराई गई राशि में जोड़ दिया गया। हालांकि उन्हें इससे नोटिस से नुकसान नहीं होगा, लेकिन उनके सामने परेशानी तो खड़ी हो ही गई। जिले के सभी लोगों को आयकर विभाग ने नोटिस मेल से ही दिए हैं। बाद में कुछ लोगों को नोटिस डाक के जरिए भी भेजे गए।
दोबारा भी भेज दी सूची

जमा कराई गई राशि की बैंकों ने सूची बनाई थी। इसमें उन खातेधारकों को शामिल किया गया, जिन्होंने 2 लाख रुपए से अधिक की राशि जमा कराई। लोगों का कहना है कि कई बैंकों ने खाते की जानकारी आयकर विभाग को दो बार भेज दी। इससे राशि कम होने पर भी दोगुना हो गई। उन्होंने बताया कि किसी ने अपने खाते में राशि महज 4 लाख जमा कराई, लेकिन बैंक ने दोबार सूची बनाकर उसे 8 आठ लाख रुपए कर दिया। इसके चलते भी नोटिस जारी हो गए।
ये हैं करदाता

जिले में 45 हजार लोगों ने आयकर भरने के लिए फाइल बनवा रखी है। इनमें से 20 हजार व्यापारी टैक्सधारी हैं। इसके अलावा 12 हजार कर्मचारी-अधिकारी हैं। जिले में जिन लोगों को नोटिस दिए गए उन्होंने खाते में कुल 50 करोड़ रुपए जमा कराए हैं। इसमें 25 करोड़ रुपए तो नए नोट हैं। बाकी पेट्रोल पम्प तथा गैस एजेंसियों के संचालक शामिल हैं।
एक बार में जमा कराने थे बंद किए नोट 

जिले के जिन 700 लोगों को नोटिस दिए गए हैं, वे सही है, लेकिन परेशानी तो बढ़ ही गई। इसमें लोगों की गलती ये रही कि उन्होंने खाते में राशि एक बार नहीं डालकर कई बार डाल दी। ऐसे में वे बैंक तथा आयकर विभाग की नजर में आ गए। जबकि होना ये चाहिए था कि खाते में राशि एक बार ही डालनी चाहिए थी।
 भले ही वो 10 लाख रुपए होती। इसके अलावा उन लोगों को नोटिस नहीं देना चाहिए था, जिन्होंने 8 नवम्बर खाते में राशि डाली थी। अब व्यापारी नोटिस का जवाब दे रहे हैं। इसमें बताना पड़ेगा कि उन्होंने ये राशि किस तरह से जमा कराई।
 इसके लिए उन्हें बही-खाते विभाग को पेश करने पड़ेंगे। सरकार अभी ऑन लाइन को लेकर कुछ जल्दबाजी भी कर रही है। कैसलेस के लिए फिलहाल देश तैयार नहीं है। खास तौर पर ग्रामीण क्षेत्र के लोग।
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