करीब तीन बजे मुनि सुधासागर ससंघ के बून्दी का गोठड़ा की ओर प्रस्थान कर गए। विहार के इन पलों को यादगार बनाने के लिए ग्राम में जूलुस निकालकर पुष्प वर्षा भी की गई।
धर्मावम्बियों के सैलाब के साथ मुनि सुधासागर के जयकारों से आवां गुंजायमान हो गया। इस भावुक अवसर पर श्रद्धालुओं के नैत्रों से आस्था के अश्रु झलक पड़े। हर कोई इनके दर्शन, पाद-प्रक्षालन और आशीर्वाद लेने को उमड़ पड़ा।
मुनि संघ का मंगल चातुर्मास व दो बार हुए पंचकल्याणक महोत्सव के महा धार्मिक आयोजन ने तीर्थ की महिमा बढ़ाकर धर्म के मानचित्र और अन्तराष्ट्रीय जगत में खास पहचान बनाई है।
साधु, आत्म कल्याण के साथ जगत कल्याण के लिए साधना करते है। ऐसे विशिष्ट सन्त देवताओं के लिए भी पूज्य होते हैं। आवां सुदर्शनोदय तीर्थ पर मुनि सुधासागर ने अपने उपदेशों में साधु के विहार का महातम्य समझाया।
रमता जोगी और बहता पानी की कहावत का भावार्थ प्रकट करते हुए कहा कि साधु की एक मर्यादा होती है, जिस प्रकार पक्षी को सदा उड़ान भरते रहना चाहिए, उसी प्रकार मुनि को भी विचरण करते हुए पूरी भूमि पर तीर्थों की रचना करते रहना चाहिए।
सच्चा साधु उजड़े को बसाता है, माटी मे छुपी हुई सम्पदा को उजागर करता है। मंगल-प्रवचन करते हुए मुनि ने कहा कि सच्चे साधु की संगति में रहने पर पुण्य कर्मों का विस्तार होता है, व्यसनों से परे होकर मन पाप कर्म से मुक्त रहता है।
मुनि सुधासागर ने आवां तीर्थ पर मंगल-प्रवचन करते हुए पुण्य कर्म के उदय से मिली इन्द्रियों के सदुपयोग के उपदेश दिए। मुनि ने साधकों के ज्ञान-चक्षु खोलते हुए पुण्य कर्म के उदय पर अधिक सावधान रहने को सावचेत किया।
मोक्ष कल्याण महोत्सव में उमड़े श्रद्धालु
निवाई. श्री दिगम्बर जैन समाज के तत्वावधान में बिचला जैन मंदिर व तेरापंथी मंदिर में भगवान सुपाŸर्वनाथ का मोक्ष कल्याणक महोत्सव सोमवार को अनेक धार्मिक अनुष्ठानों के साथ श्रद्धापूर्वक मनाया गया।
राकेश संघी ने बताया कि मोक्ष कल्याणक को लेकर सर्व प्रथम सोधर्म इन्द्र महेन्द्र कुमार एवं नरेन्द्र कुमार संघी द्वारा भगवान सुपाŸर्वनाथ की वृहद शांतिधारा की गई। भगवान मुनिसुव्रत नाथ की शांतिधारा राजकुमार व अक्षय कुमार कासलीवाल ने किया।
चिन्तामणी पारसनाथ भगवान की शांतिधारा निहाल चन्द एवं जयकुमार गिन्दौडी द्वारा की गई। इसके बाद सभी इन्द्र-इन्द्राणी द्वारा भगवान का चारों दिशाओं से क्षीर सागर के जल से अभिषेक किया गया।
इसके बाद नवदेवता पूजा एवं णमोकार पूजा, चौबीस तीर्थंकर पूजा के साथ भगवान सुपाŸर्वनाथ की विशेष पूजा अर्चना हुई। इसके बाद कपूरचन्द, हेमचन्द संघी द्वारा निर्वाण काण्ड बोलकर भगवान सुपाŸवनाथ का निर्वाण लाडू चढ़ाया गया। इसके बाद सुपाŸवनाथ नाथ महामण्डल विधान की पूजा अर्चना हुई।
मण्डप पर सोधर्म इन्द्र द्वारा मण्डल पर 130 श्री फल अध्र्य चढ़ाया गया। इस अवसर पर अमित कटारिया, शिखरचन्द काला, प्रेमचंद बिलाला, महावीरप्रसाद पराना, पवन संघी, विमल संघी, सोभागमल सोगानी, मुकेश संघी, पुनित संघी, राजकुमार संघी, अजीत काला सहित अनेक श्रद्धालु मौजूद थे।