सर्वे करने आये कर्मचारियों के साथ जिले के खनिज विभाग के कर्मचारी भी नदी में गश्त कर रहे है। मगर यह गश्त ओर सर्वे नदी के किनारों पर ही नजर बनाये हुए है। वही सर्वे की नाक के नीचे बजरी का खनन जारी है जहां गहरी खाईंयां बनी हुई है। जिसके खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय विभाग के कर्मचारी खनन माफियाओं के साथ मजे लूट रहे है। धड़ल्ले से गुजरते बजरी से भरे वाहनों की रोक पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है जिसकों लेकर ग्रामीणों में नाराजगी बनी हुई है।
गड्ढ़ो से दूर धरातल का सर्वे-
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर भले ही बनास नदी की वर्तमान हकीकत स्थिति को लेकर सर्वे करवाया जा रहा है। मगर यहां बनास के सर्वे में भी मिलीभगती के चलते कोताही बरती जा रही है। सर्वे करने आये दिल्ली के कर्मचारी भी बनास नदी में किए गए गहरे गड्ढ़ो को छोडकऱ बनास किनारे समतल भूमि का सर्वे कर रहे है।
जिससे सुप्रीम कोर्ट की आंखों में धूल झौंकने का प्रयास किया जा रहा है। सर्वे कम्पनी की ओर से इन दिनों बनास में बनाये गये पाइपों के मुटाम भी गड्ढ़ों को छोडकऱ समतल धरातल पर लगाये गये है। जिससे सुप्रीम कोर्ट को पेश की जाने वाली रिर्पोट भी झुटी दे सके।
इनका कहना है
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर पुराने लीज धारकों ने ही निजी सर्वे कम्पनी के आदमी बुलाये है। हमारा तो सिर्फ एक कर्मचारी उनके साथ रहता है। वही बनास में होते खनन पर विभाग की बराबर नजर बनी हुई है फिर गश्त बढ़ाकर बजरी खनन रोकने का पूरा प्रयास करेंगे।
जेपी गोदारा सहायक खनिज अभियंता टोंक।
राजमहल। बनास में सर्वे करते दिल्ली से आये निजी कम्पनी के कर्मचारी।