प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र कठमाणा के वर्तमान भवन की छतों से पानी गिरता है, वहीं चूना भी गिरने सहित लोहे के सरिए दिखने लगे हैं। ऐसे हाल में चिकित्साकर्मी रोगियों को भर्ती करने तथा महिलाओं के प्रसव कराने में कतराते हैं। चिकित्सा कर्मी मात्र चिकित्सालय पहुंचने वाले रोगियों को परामर्श देकर नि:शुल्क दवा देते हुए अपने कर्तव्य की इतिश्री करते हैं। चिकित्सालय के जीर्णोद्धार को लेकर कई बार सीएमएचओ टोंक को स्थानीय चिकित्सा प्रभारी ने पत्र भेजकर अवगत कराया, लेकिन अनदेखी के चलते जर्जर भवन में ही चिकित्सा व्यवस्था चलाना उनकी मजबूरी बनी हुई है। खास बात यह है कि विभाग न तो चिकित्सालय भवन की मरम्मत करवाता है न ही नए भवन का अब तक निर्माण करवा पाया है।
37 वर्ष पुराना है भवन चिकित्सा की दृष्टि से कठमाणा में वर्ष 1986 में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का भवन सृजित हुआ और चिकित्सा मद से 22 लाख रुपए से भवन का निर्माण कराया गया, लेकिन घटिया निर्माण के चलते यह भवन बनने के बाद ही अनुपयोगी हो गया था। सरपंच गणेशलाल चौधरी ने बताया 37 वर्ष पहले यहां उपस्वास्थ्य केंद्र को क्रमोन्नत करके प्राथमिक चिकित्सालय सृजित किया गया था, साथ ही सरकार ने 22 लाख रुपए की लागत से चिकित्सालय का भवन रोगियों को भर्ती करने, व्यवस्थित उपचार करने, दवाओं के रखरखाव को लेकर बनाया गया था। प्रशासन ने भवन का घटिया निर्माण होने के मामले में भी कोई एक्शन नहीं लिया।
सरपंच हो चुके चोटिल कठमाणा ग्राम पंचायत के सरपंच गणेश लाल चौधरी भी गत वर्ष राजकीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का दौरा करने के दौरान शल्य चिकित्सा कक्ष में फिसल गए, जिससे वह चोटिल हो गए थे। बारिश के दिनों में वर्तमान भवन के चारों और पानी भर जाता है। साथ ही वर्तमान हालातों में मरीज को भर्ती करने तथा संस्थागत प्रसव कराने की स्थिति के लायक भवन नहीं है बल्कि हादसे को और न्योतता है। भय के चलते चिकित्सा कर्मी वार्ड, कमरों में तो बैठते ही नहीं है, बल्कि चिकित्सालय के बाहर हाल में बैठकर रोगियों की देखभाल करते हैं। छतों से पानी टपकने के कारण उपचार संबंधी दवाईयां बेकार होती है, वहीं उपकरण जंग खा चुके हैं। इस वजह से संस्थागत प्रसव होने की संख्या नगण्य दिखी है।