उल्लेखनीय है कि नि:शुल्क दवा योजना के तहत जिला अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र व उपकेन्द्रों पर निर्धरित दवाइयां मरीजों को नि: शुल्क उपलब्ध कराई जा रही है। इसकी खरीद को लेकर राजस्थान मेडिकल सर्विसेज निगम की आेर से सीएमएचओ की अध्यक्षता में कमेटी भी बनी हुई है। इसमें जिला औधषि भण्डार प्रभारी समेत पांच सदस्य शामिल है।
कमेटी की ओर से मांग अनुरूप मेडिसिन, सूचर्स समेत सर्जिकल आयटमों की खरीद की जाती है। नियमों के मुताबिक खरीद से पहले समिति को जिला औषधि भण्डार से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेकर स्थानीय स्तर पर ही डिमाण्ड अनुसार दवाओं की खरीद करनी होती है।
अनियमितता की आ रही बू खरीद में गड़बड़ी की शिकायत पर राजस्थान चिकित्सा सेवा निगम के प्रबन्धक निदेशक महावीर प्रसाद शर्मा ने टोंक के अतिरिक्त जिला कलक्टर लोकेश कुमार गौतम को खरीद में बरती गई अनियमितओं की जांच के आदेश दिए है। इसमें वर्ष 2016-17 व मार्च 17-18 में स्थानीय स्तर पर सीएमएचओ की ओर से की गई खरीद का मामला शामिल है।
इसके तहत अधिकतर दवाओं की उपलब्धता सम्बन्धित केन्द्रों पर होने के बावजूद सीएमएचओ ने अपने स्तर पर दवाओं की खरीद के वर्क ऑर्डर जारी कर दिए। जबकि इसके लिए जिला औषधि भण्डार से एनएसी लेना जरूरी है।
जांच की है, खुलासा बाद में करूंगा
जिला औषधि भण्डार पहुंचकर सीएमएचओ द्वारा स्थानीय स्तर पर दवा खरीद मामले की जांच की है। फिलहाल अभी जांच जारी है। क्या गड़बड़ी निकली जांच में जल्द ही सामने आ जाएगा। इसके बाद ही बता पाऊंगा।
लोकेश कुमार गौतम, अतिरिक्त जिला कलक्टर टोंक।
ओपन टेण्डर व मांग अनुसार की खरीद
सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों के मांग अनुसार दवाइयों की खरीद ओपन टेण्डर के माध्यम से की
है। इसके लिए एनएसी भी ली गई थी। कहीं कुछ गड़बड़ी की
गुंजाइश नहीं है।
डॉ. गोकुललाल मीणा, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी टोंक।