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टोंक

टोंक में अब तक 24 स्थानों पर टिड्डी का हमला

कोरोना वायरस की महामारी से जूझ रहे किसानों की मुश्किलें अब पाकिस्तान से आए टिड्डियों के दल ने और बढ़ा दी हैं। इन दिनों प्रदेश के 30 जिलों को टिड्डियों की मार झेलनी पड़ रही है। टिड्डी दलों का कहर अब कई राज्यों में देखा जा रहा है।

टोंकJul 02, 2020 / 09:05 am

Vijay

प्रदेश के 30 जिलों में टिड्डी दल का अब तक का सबसे बड़ा हमला

प्रदेश के 30 जिलों में टिड्डी दल का अब तक का सबसे बड़ा हमला

पवन शर्मा


टोंक. कोरोना वायरस की महामारी से जूझ रहे किसानों की मुश्किलें अब पाकिस्तान से आए टिड्डियों के दल ने और बढ़ा दी हैं। इन दिनों प्रदेश के 30 जिलों को टिड्डियों की मार झेलनी पड़ रही है। टिड्डी दलों का कहर अब कई राज्यों में देखा जा रहा है। टिड्डी दलों का यह कहर अभी कम से कम अगले महीने तक बरकरार रहने की संभावनाएं जताई गई हैं। कृषि विभाग के उपनिदेशक महेश शर्मा ने बताया की अभी टिड्डी दल का खतरा टला नहीं है तथा कृषकों को टिड्डी दल से सतर्क रहने की हिदायत दी।
शर्मा ने बताया कि पाकिस्तान अपने क्षेत्र में टिड्डियों पर नियंत्रण करने में पूरी तरह नाकाम रहा है, जिस कारण टिड्डियों के होपर्स एडल्ट होकर बड़ी संख्या में राजस्थान की सीमा से भारतीय क्षेत्र में आए हैं। उनके मुताबिक राजस्थान में टिड्डी दल का अबतक का सबसे बड़ा व खतरनाक हमला है।
पिछले साल भी राजस्थान के कई जिलों में टिड्डियों का हमला हुआ था। जिससे फसलों में काफी नुकसान हुआ था। शर्मा ने बताया कि अगले कुछ दिनों में इन टिड्डियों की समर ब्रीडिंग के बाद इनकी बढ़ी जनसंख्या बहुत बड़ा खतरा बन सकती है। जिससे निपटने के लिए देशभर में कई टीमें टिड्डी दलों पर नियंत्रण करने की कोशिश में लगी हैं।
कृषि विभाग के अधिकारियों के अनुसार जिस भी इलाके में टिड्डी दल का हमला होता है, वहां सारी फसल चौपट हो जाती है। टिड्डी दल प्राय करोडो की संख्या में होता है, जो हरी पत्तियों, तने और पौधों में लगे फलों को चट कर जाता है। यही नहीं, यह जिस भी हर-.भरे वृक्ष पर बैठता है, उसे भी पूरी तरह से नष्ट कर देता है।
शर्मा ने बताया कि मात्र 6.8 सेमी का यह कीट जब यह समूह में होता है तो खेतों में खड़ी पूरी फसल को खा जाता है। साथ ही रोजाना अपने वजन के बराबर खाना खने की क्षमता रखता है । यदि समय पर टिड्डी दलों को पाकिस्तान से आने से नहीं रोका गया तो खरीफ की फसलो में बड़ा नुकसान होने की संभावना बनी हुई है।
शर्मा ने बताया कि एक साथ चलने वाला टिड्डियों का झुंड एक वर्ग किलोमीटर से लेकर कई वर्ग किलोमीटर तक फैला हो सकता है। ये अपने वजन के आधार पर अपने से कहीं भारी आम पशुओं के मुकाबले आठ गुना ज्यादा तेज रफ्तार से हरा चारा खा सकती हैं। शर्मा ने बताया कि एलडब्ल्यूओ के मुताबिक दुनियाभर में टिड्डियों की दस प्रजातियां सक्रिय हैं, जिनमें से चार प्रजातियां रेगिस्तानी टिड्डी, प्रवासी, बॉम्बे तथा ट्री टिड्डी भारत में देखी जाती रही हैं। इनमें रेगिस्तानी टिड्डी को सबसे खतरनाक माना गया गया।

शर्मा ने बताया कि टोंक जिले में 24 स्थानों पर टिड्डी ने हमला किया है। जिसमें 745 हैक्टैयर क्षेत्र प्रभावित हुआ है। जिसमें 201 किसानों की व सरकारी सहित अन्य की जमीन शामिल है। शर्मा ने बताया कि टिड्डियों पर नियंत्रण के लिए 303 लीटर कीटनाशक का छिडकाव किया गया है। साथ ही 44 ट्रैक्टर, आठ फायर ब्रिगेड व हाथों की मशीन से स्प्रे किया गया है। जिले के मालपुरा क्षेत्र में के टिड्यिों आने को असर ज्यादा देखने को मिला है।
ये है बचने के उपाय
शर्मा ने बताया की टिड्डी दल आने पर कृषक अपने खेतो पर कूड़ा करकट जलाकर धुंवा करे एंव थाली, पीपे, ढ़ोल, गाड़ी के हॉर्न, डीजे आदि बजाकर फसलों पर बैठने नहीं देवे। जिले में ट्डिडी दलदिखाई देने पर कृषि विभाग व स्थानीय प्रशासन को तत्काल सूचना देना, टिड्डियों द्वारा अण्डे दिए जाने के स्थान, समय एवं दिन की तत्काल सूचना देना, जिन स्थानों पर टिड्डियों ने अण्डे दिए है उन स्थानों को खोदकर पानी भरकर या जुताई कर उनकों नष्ट करना, टिड्डियों की शिशु अवस्था को नियंत्रण करने के लिए खाइंया तैयार कर नष्ट करना, चौपाल व रात्री गोष्ठियों का आयोजन कर टिड्डियों के नियंत्रण के लिए एक.दूसरे साथी किसानों को प्ररित करना, पौध की सुरक्षा के लिए अनुमोदित रसायनों का ही प्रयोग करना, टिड्डिीयों की सही पहचान करना आदि शामिल है।
इन कीटनाशक रयायन का करे प्रयोग
शर्मा ने बताया कि टिड्डियों के नियंत्रण के लिए क्लोरपायरीफॉस 20 प्रतिशत ईसी 12 एमएल, क्लोरपायरीफॉस 50 प्रतिशत ईसी 480 एमएल, डेल्टामेथ्रीन 2.8 प्रतिशत ईसी 625 एमएल, डेल्टामेथ्रीन 1.25 प्रतिशत यूएलवी 1400 एमएल, डाइफ्ल्यूबेन्जूरान 25 प्रतिशत डब्लू पी 120 ग्राम, लेब्डासाईहेलोथ्रीन 5 प्रतिशत ईसी 400 एमएल, लेब्डासाईहेलोथ्रीन 10 प्रतिशत उब्लू पी 200 ग्राम, मेलाथियान 50 प्रतिशत ईसी 1850 एमएल, मेलाथियान 25 प्रतिशत डब्लू पी 3700 ग्राम, डस्ट फेनवलरेट 0ण्4 प्रतिशत डीपी 25 किलोग्राम, डस्ट क्यूनाफॉस 1.5 प्रतिशत डीपी 25 किलोग्राम, डस्ट मेलाथियॉन 5 प्रतिशत डीपी 25 किलोग्राम कीटनाशक रसायनों का प्रति हैक्टेयर की दर से भुरकाव व छिडकाव कर टिड्डी को नियंत्रण किया जा सकता है।
बनाया कंट्रोल रूम
उपनिदेशक शर्मा ने बताया कि इस आपदा से राहत के लिए विभाग की ओर से जिला स्तरीय टिड्डी नियंत्रण कंट्रौल रूम बनाया गया है, जो 24 घटे चालू रहेगा जिसका दूरभाष नम्बर 01432-247495 है। इस नम्बर पर किसान टिड्डी दल के आने की सूचना दे सकते है जिससे विभागीय अधिकारी द्वारा त्वरित कार्रवाई की जा सके। इसके अलावा अपने निकटतम टिड्डी कार्यालय, कृषि विभाग का कोई भी कार्यालय , राजस्व कार्यालय, ग्राम पंचायत , विद्यालय, डाकघर या कोई भी अन्य सरकारी कार्यालय में टिड्डी आने की सूचना दे सकते है।

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