मौके पर मौजूद लोगों उठकर देखा कि ठाकुरजी मंदिर के सामने गायों के झुंड के पास तीन बघेरे गायों के शिकार के लिए घात लगाए हुए नजर आए। ग्रामीणों ने बताया कि एक साथ तीन बघेरों को देखकर भयभीत हो गए। बघेरों की दहाड़ के कारण ग्रामीणों में जोरदार दहशत फैल गई। एक बघेरा गायों के झुंड के बीच छलांग लगाकर जा घुसा और एक बछडे को उठाकर छलांग लगाता हुआ पलक झपकते ही आंखों से ओझल हो गया।
ग्रामीणों ने हिम्मत कर आस-पास से लाठियां और पत्थर उठाए और बघेरों को खदेडऩे का प्रयास किया गया। लोगों ने बघेरों की ओर पत्थर फेंके तथा तेज आवाज कर भागने का प्रयास किया। ग्रामीणों की तेज आवाज और पत्थर फेंकने पर दोनों बघेरों को बिना शिकार के लौटना पड़ा। ग्रामीणों ने हिम्मत कर थोडी दूर तक बघेरों के पीछे हाथों में लाठियां लेकर दौड़े। तब जाकर दोनों बघेरे पहाडिय़ों की ओर भाग गए और ग्रामीणों ने राहत की सांस ली।
गोरतलब है कि करीब तीन वर्ष से दर्जन भर गांवों में लगातार बघेरे शिकार पर शिकार करते जा रहे है, जिससे ग्रामीणों का जीवन दहशत भरा हो गया है। रात में खेतों में रखवाली के समय किसानों को समूह में बहुत चौकान्ना रहना पड़ता है। ग्रामीणों ने बताया कि शाम ढलने के साथ ही बघेरे गुफा से निकल कर शिकार की तलाश में आसपास के गांव आ जाते है। 15 दिन पूर्व एक व्यक्ति की कार के ऊपर और नीचे दो बघेरे आ गए थे। ग्रामीणों ने बघेरों को पकडऩे के लिए प्रशासन गांव संग अभियान में भी जोरशोर से आवाज उठाई थी लेकिन अभी तक तीन में ग्रामीणों की सुनवाई नहीं हो पाई है।
आए दिन कर रहे है शिकार
पूर्व सरपंच तेजवीर चौधरी एवं वार्ड पंच रामलाल जाट का कहना है बघेरे आए दिन क्षेत्र में सूने पशुओं एवं अन्य जानवरों का शिकार कर रहे है तथा आए दिन किसी ना किसी ग्रामीण को बघेरे दिखाई दे रहे है। बघेरों के कारण दर्जन भर गांवों के लोगों के सामने बहुत बडी समस्या बनी हुई है।