इस दौरान वनस्थली सेवा दल के बैंड द्वारा सलामी के उपरांत छात्राओं ने पारंपरिक शैली में सूत की माला पहनाकर एवं स्वागत गान के द्वारा मुख्य अतिथि का अभिनंदन किया। मुख्य अतिथि लुईस वनस्थली विद्यापीठ की मूल प्रेरणा शक्ति स्थल शांताबाई शिक्षा कुटीर गई। जहां पर कुलपति आदित्य शास्त्री ने स्थान की महत्ता से परिचय कराया। इसके बाद वह विद्यापीठ के संस्थापक पंडित हीरालाल शास्त्री एवं पद भूषण रतन शास्त्री के निवास स्थान गांधी घर गई।
लक्ष्मीबाई मैदान में सेवा दल की छात्राओं द्वारा प्रस्तुत सेरेमोनियल परेड का निरीक्षण किया। कला मंदिर में देश और विदेश के कलाकारों द्वारा निर्मित कलाकृतियों एवं घुड़सवारी और लाइन गतिविधियों का अवलोकन किया। उन्होंने वनस्थली विद्यापीठ की नवीनतम अकादमी स्कूल ऑफ ऑटोमेशन एवं स्कूल ऑफ डिजाइन का प्रदर्शन भी किया। उन्होंने सुर मंदिर सभागार में शास्त्रीय एवं लोकगीत एवं नृत्य कार्यक्रमों को भी देखा और भारतीय संस्कृति के अनुपम प्रदर्शनों से अत्यंत भाव विभोर हो गई।
इस अवसर पर विभिन्न सकायों की 3761 छात्राओं को उपाधियों प्रदान की गई। जिनमें से 207 शिक्षार्थियों को पीएचडी उपाधि दी गई एवं 123 छात्राओं को मुख्य अतिथि ने स्वर्ण पदक देकर सम्मानित किया। विद्यापीठ के अध्यक्ष चित्रा पुरोहित ने शिक्षार्थियों को दीक्षा देकर शिक्षार्थियों को शुभकामनाएं दी। विद्यापीठ के उपाध्यक्ष सिद्धार्थ शास्त्री ने धन्यवाद ज्ञापित किया। समारोह का समापन पारंपरिक शांति पाठ एवं राष्ट्रगान से हुआ।