मैंने स्वयं ने टोंक नहीं चुना है। मुझे तो पार्टी ने यहां भेजा है। मैंने पार्टी के आदेश व अनुशासन की पालना की है। हां इतना जरूर है कि टोंक से मेरा नाता है। मैं इन पांच सालों में कई बार टोंक आया हूं और इससे अछूता नहीं हूं।
मैं तो सेवक हूं और जनता के बीच रहूंगा, जनता के आगे झोली फैलाऊंगा। चुनाव में हार जीत का निर्णय जनता करती है। कबड्डी खेलने के लिए अभ्यास चाहिए। उनके पास अभ्यास नहीं है। अब उन्हें जनता बताएगी कबड्डी खेलना। (खान का इशारा कुछ माह पहले पायलट के जोधपुरिया धाम में दिए गए अकेले खेल जाउंगा कबड्डी संबंधित भाषण की तरफ था)
देखिए अभी मैं विधानसभा क्षेत्र में पूरी तरह से घूमा नहीं हूं। गांव-गांव जाउंगा और वहां की समस्या देखूंगा। विकास का विजन तैयार कर मुद्दे जनता के बीच रखेंगे और उसी आधार पर क्षेत्र का विकास करेंगे। रेल का मुद्दा भी पूरा किया जाएगा।
परम्परा अब तक तो यही थी कि 5 साल कांग्रेस तो 5 साल भाजपा की सरकार रही है। इसी को देखते हुए सचिन पायलट मैदान में उतरे हैं, लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा। जनता उनको भी जानती है, जो पांच साल में एक भी मुद्दे पर जनता के बीच नहीं आए। ना ही कोई मुद्दा सही से उठा पाए।
पहले कोई बात हुई थी। फिलहाल सभी साथ हैं। विधायक समेत जिला कार्यकारिणी मिलकर चुनाव कार्य करेगी। जातिगत समीकरण कैसे बैठाएंगे?
मैं 36 कौम का सेवक हूं। सभी कौम मेरे लिए महत्वपूर्ण हैं। मैं सबको अपना मानता हूं और वो मुझे चुनेगी। इसके लिए मैं उनके बीच जाउंगा।