जानकारी के अनुसार प्रदेश में टोंक पहला जिला है जहां पर जिला अस्पताल में यह मशीन आई है। उल्लेखनिय है श्रवण बाधित बच्चों की जांच अब तक प्रदेश में मेडिकल कॉलेज स्तर पर ही की जा रही है।
सआदत अस्पताल के ईएनटी विभाग के कान नाक गला रोग विशेषज्ञ डॉ महावीर चौधरी व डॉ प्रतीक सालोदिया के अनुसार बेरा मशीन से कान के मरीजों की सुनने की क्षमता का पता लगाया जाता है। जिसमें पांच साल से कम उम्र वालों की सूनने की जांच की जाती है।
मेडिकल कॉलेज स्तर पर मिलती है सुविधा प्रदेश में इस प्रकार की जांच की सुविधा फिलहाल मेडिकल कॉलेज स्तर पर ही उपल्ब्ध है। इसके अलावा टोंक प्रदेश का पहला जिला है जहां पर अब बेरा टेस्ट मशीन से श्रवण बाधित रोग की जांच की जा सकेगी।
जांच के लिए लगता है समय चिकित्सों के अनुसार कई बार बच्चों में जन्म के बाद भी कान से सुनने की शिकायत रहती है। इसकी जांच के लिए अब तक बच्चों को जयपुर स्थित एसएमएस रैफर किया जाता था। जिसका परामर्श के बाद जांच के लिए चार से पांच माह का समय तक लगता है।
निजी केन्द्रों पर पांच हजार तक का खर्च जानकारों के अनुसार जन्म से लेकर पांच साल तक के बच्चों में सुनने की क्षमता का पता लगाने के लिए निजी लैब पर पांच हजार तक का खर्च आता है। जिससे लोगों को अतिरिक्त आर्थिक भार भी उठाना पड़ता है।
सआदत अस्पताल को कान की जांच के लिए नई बेरा मशीन मिली है। इससे जिले के लोगों को अब जयपुर व अन्य निजी लैब पर जांच के लिए नही जाना पडेगा। ईएनटी विभाग में मशीन के स्ंटॉलेशन का कार्य चल रहा है। जल्द ही इससे जांच शुरू कर दी जाएगी।
डॉ बीएल मीणा, प्रमुख चिकित्सा अधिकारी सआदत असपताल टोंक।