पिछले पांच वर्षों से कछुआ चाल से निर्माणाधिन दोनों भवन में से एक बनकर तैयार है, जहां पर्यटकों को आकृषित करने के लिए रंगीन मछलियां अन्य शहरों से लाकर कांच के एक्वेरियम में सजाई जा रही है, वहीं पास ही रंगीन मछली प्रजनन केन्द्र की अब तक किसी ने सुध तक नहीं ली है। दोनों भवनों के चारों तरफ पार्क का निर्माण पूरा होने के साथ ही खजूर व घास सहित फूलवारी आदि का कार्य भी गत वर्ष लगभग पूरा हो चुका है।
यहां बने पार्क व फूलवारी इन दिनों पर्यटकों को अपनी ओर आर्कषित भी करने लगे है। यहां संवेदक की प्रवेश कीमत ने पर्यटकों को झकझोर कर दिया है। उल्लेखनीय है कि गत 2015 के दौरान बांध के मत्स्य लैंडिंग सेन्टर के करीब पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए लगभग 3 करोड़ 75 लाख रुपए की लागत पर राज्य का पहला रंगीन मछली प्रजनन व प्रदर्शनी केन्द्र का निर्माण कार्य शुरू करवाया गया था, जिसका कार्य दो चरणों में पूरा होना था। उक्त राशि प्रथम चरण के लिए थी, जिसमें भवन निर्माण व पार्क आदि कार्य ही शामिल थे।
टिकट के आगे नहीं टिक रहे पर्यटक बांध पर गत वर्ष शुरू किए गए रंगीन मछली प्रजनन केन्द्र पर पर्यटकों को सुविधा कम व टिकट की दर अधिक होने से पर्यटक बिना देखे वापस लौट रहे है। मत्स्य विभाग ने यहां रंगीन मछली प्रदर्शनी केन्द्र शुरू करके संवेदक के हवाले कर दिया है, जिसमें प्रति प्रर्यटक टिकट की दर 120 रुपए होने व इसी के साथ अंदर रंगीन मछलियों के दर्शनों के सिवा अन्य कोई मनोरंजन के साधन नहीं होने से पर्यटकों को केन्द्र की दर अखर रही है, जिससे अधिकांशत पर्यटक दरवाजे से ही रेट की जानकारी करके लौट जाते है।
एक्वेरियम में दौड़ रही यह मछलियां मत्स्य विभाग के अनुसार यहां के रंगीन मछली दर्शनी केन्द्र में बने कांच के एक्वेरियमों में लगभग 30 से 35 प्रजातियों की रंगीन मछलियां पर्यटकों को लुभा रही, जिनमें गोल्ड फिश, एंजल, करोकोडाइल, कोईकॉर्फ, मोली व गप्पी नामक प्रजातियां शामिल है। ये मछलियां कोलकत्ता से क्रय कर यहां प्रजनन करवाना शामिल था। यह मछलियां अधिकांशत अफ्रीका की अमेजिन व नील नदियों में पाई जाती है। इन प्रजातियों की मछलियों का यही पर बनी हैक्चरी में प्रजनन किया जाकर इन्हें राज्यों में निर्यात भी किया जाना शामिल था।