पत्थर से भरी ट्रैक्टर-ट्रॉली को पकडऩे के दौरान वन विभाग के आधा दर्जन से अधिकारी सुरक्षा कर्मी मौजूद थे। इनमें से महज एक सुरक्षाकर्मीने ही खननकर्ताओं को रोकने की हिम्मत दिखाई। बाकी सुरक्षाकर्मीतो तमाशा देख रहे थे। इसी का नतीजा था कि एक हमलावर के हाथ में मौजूद साइलेंसर से ही वे ट्रैक्टर-ट्रॉली को छुड़ा ले गए। जबकि सभी वन विभाग के सुरक्षा सामना करते तो ट्रैक्टर-ट्रॉली को नहीं जाने दिया जाता।
रेंजर हिम्मत सिंह कार्मिकों के साथ बुधवार रात भी अंधेरिया बाग में कार्रवाई करने गए थे, लेकिन खननकर्ताओं के विरोध के चलते उन्हें बैरंग लौटना पड़ा। इसके बाद रेंजर ने गुरुवार को पत्थर से भरी ट्रैक्टर-ट्रॉली को पकडऩे के लिए टीम तैयार की।
यूं तो वन विभाग की टीम पर अब तक कई बार हमले हो चुके हैं, लेकिन पिछले 6 महीने में ये दूसरा हमला है। इससे पहले विवेकानंद सर्कल पर खननकर्ता वन विभाग के कर्मचारियों के कब्जे से पत्थर से भरी ट्रैक्टर-ट्रॉली को ले गए थे। इसके अलावा बजरी खननकर्ताओं ने तीन बार सहायक खनिज अभियंता पर हमला किया है। वहीं बजरी खननकर्ताओं ने गत 22 अक्टूबर को निवाई एसडीओ की कार को कार्रवाई के दौरान टक्कर मारी है। गत 4 नवम्बर को खननकर्ताओं की आपसी झगड़े में एक जने की मौत हो चुकी है।
पत्थर से भरी ट्रैक्टर-ट्रॉली को पकड़ लिया गया था। बाद में आए खननकर्ताओं ने साइलेंसर से हमले का प्रयास किया। छह खननकर्ताओं के खिलाफ मामला दर्ज कराया गया है।
हरीसिंह हाड़ा, क्षेत्रीय वन अधिकारी, टोंक
कार्रवाई के दौरान खननकर्ताओं ने हमले का प्रयास किया, लेकिन वन विभाग की ओर से कार्रवाई जारी रहेगी। विभाग की ओर से बजरी तथा पत्थर खनन पर निरंतर कार्रवाई की जाएगी।
वी. चेतनकुमार, उप वन संरक्षक, टोंक