शहर में केन्द्रीय विद्यालय से लेकर कासीर मोड़ तक, केकड़ी मार्ग पर रामथला चौराहे से आगे तक करीब 13 किमी लम्बी सडक़ लोगों की जान निकाल रही है। जबकि यह बीसलपुर डूब क्षेत्र की पंचायतों को जोडऩे वाले प्रमुख मार्ग है। केन्द्रीय विद्यालय से लेकर रीको एरिया तक की सडक़ गड्ढे से अटी है। सडक़ पर 10 फीट चौड़े व डेढ़ फीट गहरे गड्ढे हैं।
इससे दुपाहिया वाहन चालक अनि
यंत्रित होकर गिर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि 7 ग्राम पंचायतें, 12 गांव व 18 ढाणियों से जुड़े ग्रामीणों के लिए यह सडक़ मुसीबत का कारण बन रही है। क्यों कि इन ग्रामीणों को प्रतिदिन देवली आना होता है। डूब क्षेत्र के गांवों से दर्जनों विद्यार्थी देवली की निजी स्कूलों में प्रतिदिन पढऩे के लिए आते है।
विद्यार्थियों ने बताया कि पूरे मार्ग पर उनकी स्कूल बस हिचकोले खाते व झूलते आती व जाती है। इससे हादसे का अंदेशा रहता है। केन्द्रीय विद्यालय आने वाले विद्यार्थियों व अभिभावकों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। बारिश के बाद कीचड़ के सूख जाने से अब यहां धूल का गुबार उठता रहता है। वाहनों के गुजरने के साथ ही समूचा क्षेत्र धूल से अट जाता है।
मंत्री के वायदे खोखले तीन दशकों से चल रही नेगडिय़ा पुल बनाने की मांग वर्ष 2016 में पूरी है। इसके बाद 17 फरवरी 2016 को नए हाइलेवल नेगडिय़ा पुल का सार्वजनिक निर्माण मंत्री युनूस खान, सांसद सुखबीर सिंह, विधायक राजेन्द्र गुर्जर ने लोकार्पण किया। कार्यक्रम में मंत्री यूनुस खान ने करीब 19 करोड़ के प्रस्ताव पर सहमति देते हुए देवली क्षेत्र के सडक़ नवीनीकरण की घोषणा की, लेकिन एक वर्ष से अधिक समय बीत जाने के बावजूद घोषणा पर अमल नहीं हुआ।
उल्लेखनीय है कि नेगडिय़ा पुल के निर्माण में करीब 18 माह खर्च हुए तथा 68 करोड़ रुपए की लागत आई। इसमें 2300 मीटर की पिचिंग सडक़ बनाई गई। ये 19 पिलरों पर टिका है। इस सम्बन्ध में सार्वजनिक निर्माण विभाग के अभियंताओं का कहना है कि मंत्री की घोषणा के बाद ही प्रस्ताव भेज दिए थे, लेकिन जब तक उच्च स्तर पर प्रस्ताव को स्वीकृति नहीं मिलती है, तब तक कुछ नहीं किया जा सकता।