प्रशासन भी मौन
शहर में करीब सौ अधिक स्थानों पर सरकारी व गैर सरकारी भवनों का निर्माण कार्य चल रहा है। इन स्थानों पर बजरी के ढेर लगे हुए है या नियमित बजरी आ रही है, लेकिन कभी प्रशासन के नुमाइंदों ने बजरी आने के माध्यम के बारे में पता लगाने की कोशिश नहीं की। ऐसे में क्षेत्र में खनन माफिया पनप गए।
पांच चढ़ चुके है एसीबी के हत्थे
सुप्रीम कोर्ट की रोक के बाद एसीबी की टीम ने सबसे पहले 11 दिसम्बर 2017 को खनिज विभाग के फोरमैन देशराज मीणा को बजरी से भरे वाहनों के चालकों से रुपए लेते हुए गुंसी चेकपोस्ट से गिरफ्तार किया। उसने चालकों से 52 हजार रुपए लिए थे। उसके साथ आरएसी 14वीं बटालियन का कांस्टेबल राजाराम भी था। पुलिस ने दोनों को रंगेहाथों गिरफ्तार कर लिया। एसीबी ने 28 जून 2018 को मालपुरा की टोरडी पुलिस चौकी के कांस्टेबल प्रेमराज को चालकों से राशि वसूलने पर 5 हजार रुपए के साथ गिरफ्तार किया था। निवाई उपखण्ड अधिकारी के चालक किशनलाल खंगार को एसीबी ने 5 अक्टूबर 2018 को चालकों से 2 हजार रुपए की रिश्वत लेते पकड़ा था। इसी प्रकार एसीबी की टीम ने 18 मई2019 को पीपलू थाना पुलिस के कांस्टेबल कैलाशचंद जाट को दो अन्य शंकरलाल तथा राकेश के साथ मिलकर चालकों से बजरी की एवज में एक लाख 40 हजार 500 रुपए वसूलते गिरफ्तार किया था। ये सभी पीपलू थाना प्रभारी विजेन्द्र गिल के लिए राशि वसूलते थे। वहीं १० फरवरी को मालपुरा थाने का हैड कांस्टेबल सुरेन्द्र मीणा को गिरफ्तार किया जा चुका है, वहीं एक अन्य रामभजन फरार है। फिलहाल सभी के खिलाफ न्यायालय में मामला विचारधीन है।