उल्लेखनीय है कि दंत रोग विशेषज्ञ डॉ अरूण जैन का तबादला सरकार ने जयपुर में किया है। उनके स्थान पर अन्य चिकित्सक नहीं लगाए जाने से अस्पताल में आउटडोर समय में मरीज कक्ष के बाहर बैठे रहे।
बाद में उन्हें तबादले का पता चलने पर निजी अस्पतालों की शरण ली। इधर, प्रमुख चिकित्साधिकारी डॉ. जे. पी. सालोदिया ने बताया कि इस बारे में जिला कलक्टर से चर्चा की गई है। इसके बाद सीएमएचओ ने मालपुरा में लगे दो दंत रोग चिकित्सकों में से एक को जिला अस्पताल में लगाने की सहमति दी है।
वेतन को तरसे 34 चिकित्साकर्मी
टोंक. ‘नेकी कर दरिया में डाल’ वाली कहावत इन दिनों जिला अस्पताल में लगे नर्सेज पर सटीक साबित हो रही है। सआदत एवं मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य अस्पताल में लगे 28 नर्सेज को 14 महीने तो जिले में अधिशेष चल रहे आधा दर्जन नर्सेज 22 महीनों से वेतन को तरस रहे हैं।
समय पर वेतन नहीं मिलने का कारण बजट का अभाव बताया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि गत दिनों जिले में अधिशेष चल रहे 28 नर्सेज को सआदत एवं मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य अस्पताल में पदस्थापन किया गया था।
इसका कारण जिला अस्पताल में नए पद स्वीकृत किया जाना था। इनमें नर्स ग्रेड प्रथम के 6 व द्वितीय के 28 पद शामिल है। जिला अस्पताल में समायोजन के बावजूद 28 नर्सेज को सितम्बर 2016 से नवम्बर 2018 तक का वेतन नहीं मिला।
ये तो 22 महीने से तरसे
जिले के पीएचसी व सीएचसी में अधिशेष चल रहे आधा दर्जन नर्सेज को गत 22 महीनों से वेतन नहीं मिला। नर्सेज का कहना था कि वेतन के अभाव में उनका दीपोत्सव से लेकर रंगोत्सव तक फीका
रह गया।
पहले सीएमएचओ के अधीन अब पीएमओ में
कर्मचारियों ने बताया कि पहले वे जिले के सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में लगे होने से सीएमएचओ के अधीन थे। इसके बाद उन्हें सआदत अस्पताल में लगाए जाने से अब पीएमओ के अधीन है। ऐसे में पूर्व का वेतन सीएमएचओ के हवाले से जारी होगा। इधर सीएमएचओ ने अतिरिक्त बजट आने के बाद वेतन जारी करने की बात कही है।