ऐसे में गत दिनों दो कर्मचारियों की मौत होने पर और परेशानी बढ़ गई है। वहीं राज्य सरकार की ओर से मौलाना आजाद अरबी फारसी शोध संस्थान में सेवा नियम-उप नियमों को लेकर मशक्कत की जा रही है।
राज्य सरकार की ओर से जो भी नियम-उप नियम के सम्बन्ध प्रस्ताव व सुझाव मांगे गए वह समय रहते भेजे जा चुके हैं। अब यह मामला राज्य सरकार के स्तर पर विचाराधीन है। नियम व उप नियमों की संवैधानिक प्रक्रिया के विचाराधीन रहते एपीआरआइ की प्रगति का मार्ग रुका हुआ है। यह प्रक्रिया राज्य सरकार की ओर से जैसे ही पूर्ण की जाती है तो राजस्थान लोक सेवा आयोग एपीआरआइ के आवश्यक पदों की नियुक्ति करना शुरू कर देगा।
इससे संस्थान अपनी गति को पकड़ सकेगा। दरअसल अरबी फारसी के विषय को लेकर यह संस्थान देश में अपना विशिष्ट स्थान रखता है। विश्व स्तर पर इसकी ख्याति है। अरबी फारसी के विद्वानों की धीरे-धीरे कमी होती जा रही है।
इसकी पूर्ति नियम-उप नियमों के बनने के साथ राजस्थान लोक सेवा आयोग द्वारा पदों पर नियुक्ति करने से होगी।
महत्वपूर्ण पद रिक्त
एपीआरआई में निदेशक के साथ उपनिदेशक, सहायक निदेशक रिसर्च ऑफिसर, असिस्टेंट रिसर्च ऑफिसर, लाइब्रेरियन, असिस्टेंट लाइब्रेरियन सहित लाइब्रेरी का स्टाफ, अनुवादक, गाइड आदि के महत्वपूर्ण पद रिक्त हैं।
अधिकांश पद का कार्य बाबू ही देख रहे हैं। विदेशों से आने वाले स्कॉलर्स को अनुभवी गाइड की आवश्यकता रहती है। ऐसे में गाइड नहीं होना एपीआरआइ की साख पर सवालिया निशान खड़ा करता है। ऐतिहासिक व दुर्लभ ग्रंथों व किताबों को देखने आने वाले लोगों को जानकारी देने वाले पद को काफी समय से नहीं भरा गया।
एपीआरआइ की जानकारी रिसर्च स्कॉलर तथा पुस्तक प्रेमियों तक पहुंचाने के लिए पीआरओ का पद आवश्यक है जो अब तक सृजित नहीं किया गया है। कैलीग्राफी के लिए संस्थान को जाना जाता है। केलीग्राफर के तीनों पद दो साल से रिक्त है। अनमोल तथा प्राचीन ग्रंथों के कॉपीराइटर, बाइंडर तथा फारसी अनुवादक के पद भी रिक्त चल रहे हैं।
इसके अलावा कंप्यूटर विभाग की स्थापना होनी है जो अभी शेष है। लीपिक समेत अकाउंटेंट तथा चौकीदार के पद भी रिक्त है।
कौन करेगा शोधार्थियों की मदद
एपीआरआई में अरबी व फारसी समेत अन्य विषयों में शोध करने के लिए अमेरिका, इंगलैण्ड, जापान, जर्मनी, मिश्र समेत देश-विदेश से शोधार्थी आते हैं। इनको रिसर्च ऑफिसर शोध में मदद करते थे। रिक्त पद नहीं भरने से शोधार्थियों के सामने शोध में मदद की दिक्कत आ रही है।
ये है एपीआरआई की खास बात
एपीआरआई में दुनिया की सबसे बड़ी कुरआन समेत एक लाख 26 हजार 505 से अधिक दुर्लभ गं्रथ व किताबें हैं। इनमें से कई ग्रंथ तो ऐसे हैं, जो एपीआरआइ के अलावा कहीं नहीं है।
इनमें बगदाद पुस्तकालय के जाद-उल-मसीर तथा रेखा गणित पर आधारित तहरीर-ए-उन्लीदस है। एपीआरआइ के कर्मचारियों ने बताया कि 1200 ईसा पूर्व बगदाद पुस्तकालय की करीब 10 लाख पुस्तकों को हलाकू ने दजला दरिया में डाल दिया था।
एपीआरआइ में रखी ये दो पुस्तकें दरिया में डाले जाने वाली ही है। इसके अलावा फारसी में लिखी महाभारत, भगवत गीता, औरंगजेब की हस्तलिखित कुरआन-उल-करीम, ईरान के 74 बादशाहों की जीवनी वाली अगराज-उस-सियासह तथा बादशाह अकबर तथा जहांगीर के फरमान समेत अन्य ग्रंथ भी एपीआरआइ के अलावा कहीं नहीं है।