बाद में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक पे उन्हें समझाकर आश्वासन दिया कि अतिक्रमण हटवाने के लिए जाप्त दिया जाएगा। उन्होंने जिला कलक्टर को ज्ञापन भी सौंपा। इसमें बताया कि केदार की मां धूली देवी, पत्नी बदाम देवी व बच्चे गांव में निवास करते हैं। अलीमपुरा में बीसलपुर विस्थापितों को आवंटित हुई जमीन को प्रार्थी द्वारा खरीदे जाने के बाद प्रशासन पांच वर्षों में वहां पत्थरगढ़ी की कार्रवाई नहीं कर सका है।
गत दिनों केदार के चाचा रामजीवण ने जिला कलक्टर गौरव अग्रवाल को टोंक तथा पीपलू पहुंचने पर ज्ञापन सौंपा तथा पत्थरगढ़ी करवाए जाने की मांग की। उपखंड अधिकारी को पेश किए प्रार्थन ापत्र पर कई बार तहसीलदार को पत्थरगढ़ी के लिए निर्देशित किया, लेकिन जाप्ते की अनुपलब्धता के चलते पत्थरगढ़ी नहीं हो पा रही है। ऐसे में उन्होंने धरना देकर प्रदर्शन किया।
उन्होंने बताया कि उपखंड अधिकारी पीपलू ने 17 जून 2010 को एक टीम गठित कर 25 जून 2020 को पत्थरगढ़ी की पालना करने के निर्देश दिए थे, लेकिन 25 जून को भी कोई पालना नहीं हुई। इसके बाद 3 जुलाई को राजस्व टीम गठित करके 10 जुलाई को पत्थरगढ़ी के लिए निर्देशित किया गया, लेकिन इस बार भी पीपलू डिप्टी व थानाधिकारी ने जाप्ता देने से इनकार कर दिया, जिस पर आदेश की पालना नहीं हो सकी।
पीडि़त ने जिला कलक्टर से उसकी जमीन की पत्थरगढ़ी करवाए जाने की मांग की है। गत 3 जून को परिवार ने खातेदारी के खेत में जुताई करवाई तो वहां गांव के ही कुछ लोग कब्जा करने के नियत से परिवार को जुताई करने से मना कर दिया तथा उसके परिवार के साथ मारपीट पर उतारु हो गए।
इस संबंध में उसकी पीडि़त मां व चाची ने 3 जून को थाने में भी रिपोर्ट दर्ज करवाई हैं, लेकिन पुलिस इसमें भी कोई कार्रवाई नहीं कर रही हैं। इसके बाद 26 जून को भी प्रार्थी परिवार जमीन जोतने गया तो गांव के ही कुछ लोगों ने काश्त से मना कर दिया। इस पर फिर पीडि़ता ने पीपलू थाने में 27 जून को मामला दर्ज करवाया, लेकिन पुलिस की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई।