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पाइप लाइन से पिछले पांच माह से बह रहा व्यर्थ पानी, खेतों में भरा डेढ़-दो फीट पानी

बीसलपुर ग्रामीण जलापूर्ति परियोजना की अनदेखी के चलते कस्बे के निकट पिछले पांच माह से क्षतिग्रस्त जलापूर्ति पाइप लाइन से व्यर्थ पानी बह रहा है।

टोंकOct 23, 2019 / 02:19 pm

pawan sharma

पाइप लाइन से पिछले पांच माह से बह रहा व्यर्थ पानी, खेतों में भरा डेढ़-दो फीट पानी

टोडारायसिंह. बीसलपुर ग्रामीण जलापूर्ति परियोजना की अनदेखी के चलते कस्बे के निकट पिछले पांच माह से क्षतिग्रस्त जलापूर्ति पाइप लाइन से व्यर्थ पानी बह रहा है। ये पानी खेतो में भरने से किसानों को फसल में नुकसान हो रहा है। बीसलपुर से जयपुर के अलावा ग्रामीण क्षेत्र में जलापूर्ति को लेकर एक दशक पहले बीसलपुर (सुरजपुरा फिल्टर प्लांट) से दूदू वाया मालपुरा व निवाई चाकसू वाया झिराना के लिए भूमिगत पाइप लाइन बिछाई गई थी।
कृषि उपज मण्डी से मालपुरा के मध्य सडक़ किनारे बिछाई गई भूमिगत पाइप लाइन में रतवाई, श्रीनगर, मोर, कृपालभैरू, टोरडी समेत अन्य दर्जनों स्थानों पर रिसाव से सैकड़ों गेलन पानी व्यर्थ बह रहा है। स्थिति यह है कि परियोजना की अनदेखी के चलते कृषि मण्डी के पीछे स्थित दो खेतों में पिछले चार माह से पानी भरा हुआ है।
कस्बानिवासी नूर मोहम्मद ने बताया कि करीब 8 बीघा खेत में भूमिगत पाइप लाइन के रिसाव से ज्वार व बाजरे की फसल खराब हो गई। वहीं अब खेत में डेढ़ से दो फीट पानी भर जाने से रबी फसल की बुवाई के लिए खेतों को तैयार करना मुश्किल हो गया है। इसको लेकर परियोजना के अभियंताओं को कई बार अवगत कराया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई।
राह में कीचड़, आवागमन में परेशानी
पीपलू (रा.क.). बनवाड़ा से मुर्तजा नगर की ओर जाने वाले रास्ते पर काफी समय से पानी व कीचड़ जमा है। इसके चलते ग्रामीणों को आने-जाने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। वार्ड पंच कमलेश चंदेल ने बताया कि बनवाड़ा से मुर्तजा नगर के रास्ते पर ग्रेवल मिट्टी का कार्य हो रखा है, लेकिन बरसात के दिनों पानी निकासी अभाव में आम रास्ते में जमा है, जिसके चलते वाहन चालकों को इधर से गिरने पर दुर्घटना का अंदेशा रहता है।
रास्ते में हो कर पैदल अथवा दुपहिया वाहन चालक से आना-जाना का भी मुश्किलों भरा हो रहा है। ग्रामीणों ने बनवाड़ा से मुर्तजा नगर गांव को मिसिंग लिंक सडक़ निर्माण योजना में जोड़े जाने को लेकर जिला प्रशासन एवं सार्वजनिक निर्माण विभाग के उच्च अधिकारियों से पत्र भेजकर मांग की हैं।
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