इनमें नव अंकुरण होने के साथ हरियाली फूट पड़ी है। पौधों को बचाने के लिए ग्राम पंचायत सरपंच राधेश्याम चन्देल की अगुवाई में गठित टीम एक पखवाड़े से जुटी हुई है। कस्बे के कुओं के सूखने से ये निजी खर्च से महंगे भाव के टैंकर खरीद कर इन्हे सींच रही हैं।
खुदाई कर खाद, पानी देने के साथ कंटीली झाडिय़ां लगाकर सुरक्षा के बन्दोबस्त करने का श्रमदान लगातार भी किया जा रहा है। सरपंच ने बताया अब घाटी के देवनारायण से बस स्टैण्ड तक डिवाइडर के बीच लगे पौधों में हरियाली आने लगी है।
राजस्थान पत्रिका ने 16 मार्च के अंक में कुएं सूखे तो पानी खरीद कर बचा रहे हैं पौधे शीर्षक से समाचार प्रकाशित कर सामाजिक सरोकार की भूमिका निभाने के साथ युवाओं मे जोश और उत्साह जगाया था।
गौरतलब है कि विगत छह माह पूर्व आवां-दूनी मार्ग, चांदली सडक़ और सुदर्शनोदय तीर्थ के रास्ते में रौंपे बरगद, पीपल, नीम, शीशम, गुलमोहर, अर्जुन सहित 14 प्रकार की किस्मों के पांच फीट से भी अधिक लम्बे 2100 से अधिक पौधे रोंपे गए थे। इनमें से सैकड़ों पौधे पानी के अभाव में सूख गए थे।