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#SmartCitySmartPark: ग्रीन सिटी की ओर बढ़ रहा उदयपुर

locationटोंकPublished: Jun 24, 2017 06:35:00 pm

Submitted by:

madhulika singh

आपके क्षेत्र के उद्यान भी यदि उपेक्षा के शिकार हैं या जनसहभागिता से उनकी देखरेख की जा रही है तो हमें rakesh.sharma1@in.patrika.com या व्हाट्स एप्प 98290-50939 पर जानकारी और तस्वीरें साझा कर सकते हैं।

झीलों के शहर की रिहायशी कॉलोनियों में क्षेत्रफल और जनसंख्या घनत्व के अनुपात में ग्रीन पॉकेट के रूप में कम से कम एक पार्क जरूर होना चाहिए, यह प्रशासन ही नहीं, मगर आमजन भी जानते हैं। इस दिशा में प्रशासन की चूक पर अपने स्तर पर पार्क को विकसित करने की पहल बहुत कम लोग ही करते हैं, मगर अब पर्यावरण संरक्षण के उद्देश्य से अपने बूते पर पार्क विकसित करने को लेकर जागरूकता आ रही है। पत्रिका के सांसों पर सितम समाचार शृंखला के जरिए भी इस मामले में जागरूकता का प्रसार हो रहा है। उम्मीद है कि शहर के अन्य हिस्सों में पार्कों के कायाकल्प की पहल होगी। इस मामले में पूर्ण रूप से प्रशासन पर निर्भरता घटेगी। दूसरी ओर, उद्यानों को लेकर प्रशासन में जड़ता टूटेगी।
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पार्क की जमीन पड़ी उपेक्षित

शहर के वार्ड-37 में न्यू अशोक विहार, रोड नंबर-2 सेंट ग्रेगोरियस के पास स्थित यह जमीन पार्क के नाम पर क्षेत्रवासियों को रिजर्व मिली। लेकिन, कई-कई बार निगम और यूआईटी के चक्कर काटकर भी कुछ हासिल नहीं हुआ। एेसे में ग्रीन बेल्ट का हिस्सा काफी समय से उजाड़ ही पड़ा है।
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जागरूकता से बन गया चमन

इधर, वार्ड-55 स्थित आदिनाथ नगर पार्क स्थानीय विकास समिति सदस्यों अशोक मेहता, सम्पत भंडारी, दिलीप खमेसरा, अरुण खमेसरा व प्रशान्त भंडारी के अलावा अन्य क्षेत्रवासियों के सहयोग से हरा-भरा और मनोहारी नजर आता है। इनका मानना है कि पत्रिका अभियान से प्रेरित होकर हर क्षेत्रवासी अपने उद्यानों में नियमित स्वैच्छिक श्रमदान का जिम्मा ईमानदारी से उठाए तो शहर की सूरत बदल सकती है। ज्यादातर कॉलोनियों में पार्कों की दुर्दशा के लिए क्षेत्रवासी भी कम जिम्मेदार नहीं हैं, जो अपने क्षेत्र के पार्क में बच्चों को झूलों आदि को तोड़ते या फिर किसी को कचरा डालते मना नहीं करते। एेसे ही कुछ लोग प्रशासन से शिकायत करने में आगे नहीं आते हैं और न ही उद्यानों के रख रखाव में भागीदारी ही निभाते हैं। 
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