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महिलाओं ने हाथों मेहन्दी रचाई, आंगन में रंगोली सजाई, फिर भोजन का लिया स्वाद

locationटोंकPublished: Sep 03, 2018 12:57:03 pm

Submitted by:

Kamal Bairwa

टोंक. अग्रवाल समाज शेखावाटिया समाज की बैठक का आयोजन रविवार को अग्रवाल धर्मशाला में हुआ। इस दौरान दिन भर महिलाओं की कई प्रतियोगिताएं हुई।

युवतियां

टोंक में रविवार को प्रतियोगिता में मांडणा बनाती युवतियां।

टोंक. अग्रवाल समाज शेखावाटिया समाज की बैठक का आयोजन रविवार को अग्रवाल धर्मशाला में हुआ। इस दौरान दिन भर महिलाओं की कई प्रतियोगिताएं हुई। शाम को समाज की बैठक के बाद सामूहिक गोठ हुई। अग्रवाल समाज शेखावाटिया के मंत्री अतुल गर्ग व राजीव बंसल ने बताया कि पहले महिलाओं की मेहन्दी, रंगोली, मांडणा, लड्डू गोपाल सजाना आदि प्रतियोगिताएं हुई।
इसमें मेहन्दी में प्रथम दीक्षा अग्रवाल, द्वितीय लवी, रंगोली में प्रथम मोनिका, दीक्षा मंगल, द्वितीय शैफाली व दीक्षा अग्रवाल, मांडना में हेमा गर्ग, नीमा गर्ग, द्वितीय उषा गोयल व दीपीकस मंगल तथा लड्डू गोपाल सजाना में प्रथम रेखा बंसल व द्वितीय स्थान पर नेहा अग्रवाल रही, अतिथियों ने पारितोषिक दिया गया। शाम को समाज अध्यक्ष महेश नवलगढिय़ा की अध्यक्षता में बैठक हुई।
इसमें वार्षिक प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया। बैठक में राजेन्द्र गोयल ने कहा कि समाज के प्रत्येक परिवार के एक सदस्य को सामाजिक कार्यों में बढ़-चढक़र हिस्सा लेना चाहिए। अध्यक्ष महेश बंसल ने बालिका शिक्षा पर जोर देते हुए कहा कि समाज के लोगों को ज्यादा से ज्यादा बालिकाओं को उच्च शिक्षा दिलवाई जानी चाहिए। इस अवसर पर राजीव बंसल, राम लोहिया, नरेश भगत, दिनेश गर्ग, दामोदर मित्तल, धीरज अग्रवाल, डी. डी. गुप्ता, प्रभा गोयल अध्यक्ष महिला मंडल, वर्षा गुप्ता मंत्री, मधु गोयल, रमा बंसल, रेख बंसल, मीता गर्ग, सीमा गोयल, मीना मंगल आदि मौजूद थे।
बाजारवाद ने शिक्षा का विखण्डित किया
टोडारायसिंह. पूर्व प्रोफेसर एवं टोंक पीजी कॉलेज के हिन्दी साहित्य विभागाध्यक्ष डॉ. मनु शर्मा ने कहा कि बाजारवाद ने शिक्षा को विखण्डित कर न केवल बच्चों के व्यक्तित्व के साथ खिलवाड़ किया है, बल्कि सामाजिक सरोकारों के साथ नैतिक मूल्यों का भी हृास किया है। शर्मा ने यह बात अजीम प्रेमजी फाउण्डेशन के तहत लर्निंग रिसोर्स सेन्टर पर साहित्य एवं शिक्षा के अन्र्तसम्बंध विषय पर आयोजित व्याख्यानमाला में कही। उन्होंने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को सामाजिक सरोकार, नैतिकता मूल्यों को व्यवहार और विचारों में आत्मसात करना चाहिए।
वैचारिक संघर्षमय व्यवस्था को जीतने के लिए सामाजिक दायित्व को समझना तथा एक-दूसरे को सहयोग करने की आवश्यकता है। उन्होंने पेयजल संकट से निजात पाने के लिए परम्परागत जलस्रोतों के संरक्षण व संवर्धन की आवश्यकता जताई। कार्यशाला में उमाकान्त शर्मा, देवेन्द्र जौशी, जितेन्द्र सिंह, अच्युत ठाकुर, कमलेश पारीक, तुलसीदास शर्मा, हनुमान प्रसाद कुर्मी, सीताराम शर्मा, टीना हाड़ा, अनु पारीक आदि मौजूद थे।
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