केरल प्रांत पर्यटकों में बेहद लोकप्रिय है, इसीलिए इसे Gods Own Country अर्थात् ईश्वर का अपना घर नाम से पुकारा जाता है। यहाँ अनेक प्रकार के दर्शनीय स्थल हैं, जिनमें प्रमुख हैं - पर्वतीय तराइयाँ, समुद्र तटीय क्षेत्र, अरण्य क्षेत्र, तीर्थाटन केन्द्र आदि। इन स्थानों पर देश-विदेश से असंख्य पर्यटक घूमने के लिए आते हैं।
पर्यटकों के आर्कषणः केरल में मून्नार, नेल्लियांपति, पोन्मुटि आदि पर्वतीय क्षेत्र, कोवलम, वर्कला, चेरायि आदि समुद्र तट, पेरियार, इरविकुळम आदि वन्य पशु केन्द्र, कोल्लम, अलप्पुष़ा, कोट्टयम, एरणाकुळम आदि झील प्रधान क्षेत्र (backwaters region) आदि पर्यटकों के लिए विशेष आकर्षण केन्द्र हैं।
केरल की संस्कृति, भारत की संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है जिसमें कला के कई रूपों के विभिन्न पहलू, भोजन, पहनावा आदि शामिल हैं। कथकली और मोहिनीअट्टम यहां के प्रमुख नृत्य रूप हैं जो सारी दुनिया में सराहे जाते हैं।
आयुर्वेद पर्यटन-भारतीय चिकित्सा पद्धति- आयुर्वेद का भी पर्यटन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान है। राज्य की आर्थिक व्यवस्था में भी पर्यटन ने निर्णयात्मक भूमिका निभाई है।
केरल के वाइल्ड लाइफ सेंचुरी में आपको लगभग सभी तरह के जानवर, समुद्री जीव और पक्षी मिलेंगे। कुछ बहुत दुर्लभ प्रजातियां भी आपको केरल में मिल जाएंगीं। इनमें से कुछ जानवर हैं नीलगिरी तहर, बाघ, तेंदुआ, हाथी, मकाक, हिरण, तिमलियां, पतंगे, केंकड़े, मडस्कीपर और अन्य कई। यहां देखने लायक वाइल्ड लाइफ सेंचुरी में चिन्नार वाइल्ड लाइफ सेंचुरी, पेरियार टाइगर रिजर्व, थटटेकड पक्षी अभयारण्य, एराविकुलम नेशनल पार्क, इडुक्की वाइल्ड लाइफ सेंचुरी, वायनाड वाइल्ड लाइफ सेंचुरी और कुमारकोम पक्षी अभयारण्य हैं।
केरल जाने का सबसे अच्छा समय सितम्बर से मार्च होता है, ये पीक सीजन होता है, इस समय यहाँ बहुत भीड़ होती है। इसके बाद अप्रैल से मई ऑफ सीजन होता है, लेकिन फिर लोग यहाँ जाते है, क्यूंकि देश में बहुत गर्मी पड़ती है, लेकिन यहाँ बहुत अधिक गर्मी नहीं होती है। जून से अगस्त मानसून सीजन होता है, बहुत से लोग मानसून का मजा लेने यहाँ जाते है।