गुजरात का कच्छ अपने ऐतिहासिक स्थलों के लिए हमेशा से ही पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहा है। गुजरात यात्रा कच्छ जिले के भ्रमण के बिना अधूरी मानी जाती है। पर्यटकों को लुभाने के लिए यहां बहुत कुछ है। यहां पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए हर वर्ष कच्छ महोत्सव आयोजित किया जाता है।
45652 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैले गुजरात के इस सबसे बड़े जिले का अधिकांश हिस्सा रेतीला और दलदली है। कच्छ में देखने लायक कई स्थान है जिसमें कच्छ का सफ़ेद रण आजकल पर्यटकों को लुभा रहा है। इस के अलावा मांडवी समुद्रतट भी सुंदर आकर्षण है। आइए जानते हैं कच्छ की खूबसूरती के बारे में...
धौलावीरा-यह पुरातात्विक स्थल हडप्पा संस्कृति का प्रमुख केन्द्र था। जिला मुख्यालय भुज से करीब 250 किलोमीटर दूर स्थित धौलावीरा यह बात साबित करता है कि एक जमाने में हडप्पा संस्कृति यहां फली-फूली थी। यह संस्कृति 2900 ईसा पूर्व से 2500 ईसा पूर्व की मानी जाती है। सिंधु घाटी सभ्यता के अनेक अवशेषों को यहां देखा जा सकता है। वर्तमान में भारतीय पुरातत्व विभाग इसकी देखरेख करता है।
कच्छ का रन तथा महान कच्छ का रन गुजरात प्रांत में कच्छ जिले के उत्तर तथा पूर्व में फैला हुआ एक नमकीन दलदल का वीरान प्रदेश है। जो पर्यटकों को बरबस ही अपनी अोर आकर्षित करता है।
कच्छ का रन उत्सव-चांद के रोशनी में ऊंट की सवारी का आनंद लेना हो तो कच्छ का रण उत्सव आपकी इच्छा पूरी करेगा। हजारों की संख्या में देशी-विदेशी सैलानी रण उत्सव में हिस्सा लेने पहुंचते हैं। इस उत्सव का आयोजन कच्छ के रेगिस्तान में किया जाता है। नमक की बहुलता वाले इस क्षेत्र में रात में रेगिस्तान सफेद रेगिस्तान में बदल जाता है। यहां आकर आप खुली हवा में कल्चरल प्रोग्राम का आनंद उठा सकते हैं।सैलानियों के मनोरंजन के लिए यहां थियेटर की सुविधाएं भी हैं।
कच्छ मांडवी बीच-भुज से करीब 60 किलोमीटर दूर स्थित यह बीच गुजरात के सबसे आकर्षक बीचों में एक माना जाता है। दूर-दूर फैले नीले पानी को देखना और यहां की रेत पर टलहना पर्यटकों को खूब भाता है। साथ की अनेक प्रकार के जलपक्षियों को भी यहां देखा जा सकता है। सूर्योदय और सूर्यास्त का नजारा यहां से बड़ा आकर्षक होता हैं।
नारायण सरोवर मंदिर-भगवान विष्णु के सरोवर के नाम से चर्चित इस स्थान में वास्तव में पांच पवित्र झीलें हैं। नारायण सरोवर को हिन्दुओं के अति प्राचीन और पवित्र तीर्थस्थलों में शुमार किया जाता है। साथ ही इन तालाबों को भारत के सबसे पवित्र तालाबों में गिना जाता है। त्रिकमरायजी, लक्ष्मीनारायण, गोवर्धननाथजी, द्वारकानाथ, आदिनारायण, रणछोडरायजी और लक्ष्मीजी के मंदिर आकर्षक मंदिरों को यहां देखा जा सकता है। इन मंदिरों को महाराज देशलजी की रानी ने बनवाया था।
कैसे पहुंचेःवायु मार्ग-भुज विमानक्षेत्र और कांदला विमानक्षेत्र कच्छ जिले के दो महत्वपूर्ण एयरपोर्ट हैं। मुंबई से यहां के लिए नियमित फ्लाइट्स हैं।...रेल मार्ग-गांधीधाम और भुज में जिले के नजदीकी रेलवे स्टेशन हैं। यह रेलवे स्टेशन कच्छ को देश के अनेक हिस्सों से जोड़ते हैं।...सड़क मार्ग-कच्छ सड़क मार्ग द्वारा गुजरात और अन्य पड़ोसी राज्यों के बहुत से शहरों से जुड़ा हुआ है। राज्य परिवहन और प्राईवेट डीलक्स बसें गुजरात के अनेक शहरों से कच्छ के लिए चलती रहती हैं।