scriptस्ट्रगल के दिनों में रोजाना 100 किमी का सफर तय करता था: प्रणव मिश्रा | Exclusive interview with TV actor Pranav mishra | Patrika News

स्ट्रगल के दिनों में रोजाना 100 किमी का सफर तय करता था: प्रणव मिश्रा

locationमुंबईPublished: Nov 06, 2018 10:28:21 am

Submitted by:

Mahendra Yadav

प्रणव का कहना है कि मुंबई और जयपुर की दिवाली में बहुत अंतर है।

Pranav mishra

Pranav mishra

‘मैं जब स्कूल में प्ले करता था तभी से मुझे एक्टिंग का बहुत शौक था। एक दिन में जवाहर कला केन्द्र गया और वहां संदीप मदानजी से मिलकर कहा कि मुझे हीरो बनना है। उन्होंने हंसकर कहा, ठीक है कल से वर्कशॉप में आ जाना। आज वे इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन मेरा एक्टिंग का सफरनामा वहीं शुरू हुआ।’ यह कहना है टीवी अभिनेता प्रणव मिश्रा का। ‘ऐसी दीवानगी देखी नहीं कहीं’, ‘जोधा अकबर’ और ‘नागिन’ जैसे टीवी शोज में नजर आ चुके अभिनेता प्रणव जयपुर अपने परिवार के साथ दिवाली मनाने आए हैं। इस दौरान उन्होंने पत्रिका कार्यालय में विजिट की और अपने अनुभव साझा किए।

दिवाली घरवालों के साथ ही:
प्रणव का कहना है कि मुंबई और जयपुर की दिवाली में बहुत अंतर है। ‘वहां लोग पार्टी करते हैं, कार्ड खेलते हैं लेकिन जयपुर में हम घरवालों के साथ इस त्योहार को एंजॉय करते हैं। साथ ही दोस्तों के साथ घूमना, मस्ती करना, पटाखे चलाना ये सब मुंबई में बहुत मिस करता हूंं। वैसे भी त्योहार तो घरवालों के साथ ही अच्छे लगते हैं।’
स्ट्रगल के दिनों में रोजाना 100 किमी का सफर तय करता था: प्रणव मिश्रा

100 किमी का सफर तय करता था रोजाना:
प्रणव ने बताया, ‘जब मैं जयपुर से मुंबई गया तो शुरुआती संघर्ष के दिनों में मैं महाराष्ट्र के बोईसर में हमारे एक रिश्तेदार के पास रहता था। मुझे वहां से रोजाना ट्रेन से अंधेरी जाना होता था और वहां से अंधेरी तक की दूरी करीब 100 किमी थी। कई बार रात को लौटते समय जब अंतिम ट्रेन छूट जाती थी तो वहीं रहना पड़ता था।’

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कॉर्मिशयल पायलट बनना चाहता था:
प्रणव के पिता आयुर्वेद के डॉक्टर हैं और उनके दादाजी भी इसी प्रोफेशन में थे। ऐसे में उनके पिता चाहते थे कि वे भी इसी क्षेत्र में कॅरियर बनाएं लेकिन प्रणव कर्मिशयल पायलट बनना चाहते थे। बाद में जब उन्होंने मिस्टर जयपुर का खिताब जीता और थियटर करना शुरू किया तो उन्होंने एक्टिंग में कॅरियर बनाने की ठानी।

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जयपुर की हर चीज मिस करता हूं:
प्रणव का कहना है कि वह जयपुर में ही पले-बढ़े हैं। उन्होंने अपना अधिकांश समय यहीं बिताया है। ऐसे में वह जयपुर की हर चीज मिस करते हैं। यहां की हवा, दोस्तों के साथ बिताया वक्त, परिवार के साथ हर त्योहार मनाने की खुशी, बचपन की दि। उनका कहना है कि ये सब चीजें मुंबई में नहीं मिलती।

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