गांव व ढाणियों के लोगों को आज भी पानी, बिजली, चिकित्सा व शिक्षा जैसी मूलभूत सुविधाओं से महरूम
नोख. क्षेत्र के इन्दिरा गांधी नहर व सीमावर्ती क्षेत्र के अंतिम छोर पर निवास कर रहे गांव व ढाणियों के लोगों को आज भी पानी, बिजली, चिकित्सा व शिक्षा जैसी मूलभूत सुविधाओं से महरूम रहना पड़ रहा है। जानकारी के अनुसार नोख क्षेत्र जिला मुख्यालय से 225 किमी दूर है तथा जिले के अंतिम छोर पर बसा हुआ है। इसके अलावा क्षेत्र के कई गांव व ढाणियां नोख से भी दूर सीमावर्ती क्षेत्र में बसी हुई है। इन गांवों व ढाणियों को आज भी शुद्ध पेयजल के लिए इधर-उधर भटकना पड़ रहा है। क्षेत्र में इन्दिरा गांधी नहर की कई वितरिकाएं व खाले बने हुए है, लेकिन यहां कभी भी समय पर पर्याप्त मात्रा में जलापूर्ति नहीं की जाती है। ऐसे में उन्हें दूर दराज क्षेत्रों से पानी लाना पड़ रहा है। गुरु जम्भेश्वर लिफ्ट परियोजना फलोदी से निकली नोख वितरिका में अंतिम छोर पर बैठे किसानों तक सिंचाई तो दूर पेयजल के लिएभी पानी मुहैया नहीं हो रहा है, जबकि अधिकारियों व कर्मचारियों की मिलीभगत से लिफ्ट नहर से पानी चोरी हो जाता है। फलोदी नहर से नेतावत माइनर से जुड़े गांव बीठे का गांव, नोख, बीकानेर के नेतावत गांव सहित अंतिम छोर तक कभी भी पानी नहीं पहुंच पाता है।जबकि इसी नहर से जुड़े जोधपुर जिले के गांवों में पर्याप्त जलापूर्ति की जा रही है तथा प्रभावशाली लोगों की ओर से साइफन डालकर पानी की चोरी भी की जा रही है।नोख क्षेत्र के ठाकरबा, गेलाबा, मेघवालों का कैम्प सहित अन्य कई गांवों के भी यही हालात है।
खातेदारी अधिकारों से वंचित
क्षेत्र के नोख सहित ठाकरबा, बीठे का गांव, ढालेरी, तालरिया गांवों के सैंकड़ों किसानों को उपनिवेशन व राजस्व विभाग की लापरवाही, उदासीनता के चलते खातेदारी अधिकार नहीं मिल रहे है।जिससे उन्हें अपनी कृषि भूमि की केसीसी बनवाने, ऋण प्राप्त करने व भूमि के हस्तांतरण करने में परेशानी हो रही है।
आवंटन का इंतजार
क्षेत्र के लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि एवं पशुपालन है। यहां सरकारी भूमि उपलब्ध होने के बावजूद भी गत डेढ़ दशक से लोग कृषि भूमि आवंटन का इंतजार कर रहे है। गौरतलब है कि गत डेढ दशक पूर्व तत्कालीन सरकार की ओर से भूमिहीनों के आवेदन पत्र भरवाए गए थे, लेकिन आज तक भूमिहीन किसान राजस्व व उपनिवेशन कार्यालयों के चक्कर काट रहे है, लेकिन उन्हें भूमि का आवंटन नहीं किया जा रहा है। हजारों आवेदन पत्र उपनिवेशन कार्यालय में धूल फांक रहे है। यदि भूमिहीन किसानों को भूमि का आवंटन किया जाता है, तो क्षेत्र के किसानों व पशुपालकों को अपना जीवनयापन करने में सुविधा मिल सकती है।
किसानों की जुबानी –
कर्ज से दबे हैं किसान
नोख क्षेत्र की नहरों में पानी नहीं मिलता है। यहां भूमिपुत्रों को परेशानियों से रु-ब-रु होना पड़ रहा है। अकाल की स्थिति में किसान कर्ज से दबे हुए है।
-फूसाराम मेघवाल, पूर्व सरपंच नोख
भूमिहीन किसानों ने कृषि भूमि आवंटन के लिए 13 वर्ष पूर्व आवेदन पत्र जमा करवाए थे, लेकिन किसी भी भूमिहीन किसान को आवंटन नहीं हुआ है, न ही राज्य सरकार की ओर से भूमि आवंटन को लेकर कोई कार्रवाई की जा रही है।
-दिनेश प्रजापत, ग्रामीण नोख
नोख क्षेत्र के पांच गांवों के किसान खातेदारी अधिकार के लिए दर-दर भटक रहे है, लेकिन सरकार की ओर से कोई सुनवाई नहीं की जा रही है।
-हरजीराम सांखला, किसान नोख
क्षेत्र की नेतावत माइनर लम्बे समय से रेत से भरी हुई है। नहर में पानी नहीं आ रहा है। ऐसे में लोगों को पेयजल संकट का सामना करना पड़ रहा है।
-नरपतसिंह, किसान बीठे का गांव