प्रसाद जवाद्रे कहते हैं, ‘डॉ. बी.आर आम्बेडकर ने लाखों भारतीयों को एक राष्ट्र और एक संविधान की छत के नीचे एकीकृत भारत की नींव डाली। उनकी सीख और सिद्धांत आज भी देशभर में भारतीयों में मौजूद है। 14 अप्रेल को हम बाबासाहेब की जयंती के रूप में मनाते हैं, मैं सबसे यह विनती करूंगा कि उन्हें खास
श्रद्धांजलि देने के लिए साथ आएं।
नेहा जोशी का कहना है,‘बाबासाहेब एक दूरदर्शी लीडर थे। आज हमारा देश जिस तरह से तरक्की कर रहा है, उसका काफी श्रेय उन्हें जाता है। उन्होंने ना केवल लोगों को एकजुट किया, बल्कि अत्याचार के सभी रूपों के खिलाफ मिलकर कदम उठाने के लिए प्रेरित किया। ‘आम्बेडकर जयंती’ के अवसर पर आइए हम सब एक साथ मिलकर बाबासाहेब को नमन करें।
जगन्नाथ निवानगुने कहते हैें, ‘डॉ. आम्बेडकर सही मायने में एक अद्भुत लीडर थे। उनके कार्यों ने कई भारतीयों के जीवन को प्रभावित किया है। ‘आम्बेडकर जयंती’ के मौके पर मैं सबसे विनती करना चाहूंगा कि बाबासाहेब को विशेष रूप से श्रद्धांजलि देने के लिए हमारे साथ शामिल हों।’
स्नेहा वाघ कहती हैं, ‘बाबासाहेब कई लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत हैं। चुनौती देने और लोगों को क्रांति के लिए एकजुट करने की उनकी क्षमता ने भारतीय धरती के लिए लोकतंत्र को पुनःपरिभाषित किया। इन्हीं वजहों से वह अपने दौर के सबसे महान लीडर्स में से बने।’
रोहिताश्व गौड़ का कहना है, ‘डॉ. बी.आर आम्बेडकर एक दूरदर्शी लीडर थे। उनका एकमात्र सपना था विभिन्न सामाजिक तथा आर्थिक सुधारों के माध्यम से देश को एकजुट करना। बेशक, भारत के लिखित संविधान के माध्यम से। आम्बेडकर जयंती के मौके पर, मैं सभी नागरिकों से गुजारिश करना चाहूंगा।
आसिफ शेख का कहना है, ‘मैं बचपन से ही डॉ. बी.आर. आम्बेडकर की कहानियां प-सजय़ता आया हूं। समानता को लेकर उनके संघर्ष ने मु-हजय पर बहुत ही गहरा प्रभाव डाला है। डॉ. आम्बेडकर आधुनिक भारत में समानता और भाईचारे के सबसे बड़े हितैषियों में से एक रहे हैं। बाबासाहेब की जयंती के अवसर पर, मैं अपने सभी फैन्स तथा दर्शकों से गुजारिश करना चाहूंगा वे हमारे साथ बाबासाहेब को खास श्रद्धांजलि देने के
लिये शामिल हों।’
ग्रेसी सिंह कहती हैं, ‘बाबासाहेब भारतीय इतिहास में सबसे दमदार आवाजों में से एक थे। चाहे समानता पर विश्वास की बात हो, महिला सशक्तिकरण की या फिर शिक्षा सुधार में उनकी भागीदारी की। उन्होंने हर भारतीय के जीवन को प्रभावित किया है।’
योगेश त्रिपाठी कहते हैं, ‘डॉ. आम्बेडकर ने हमारे उस समाज की परिकल्पना की जोकि आजादी, समानता और भाईचारे पर आधारित है। ऐसे सामाजिक और आर्थिक सुधार के लिए काफी दूरदर्शी सोच और विश्वास की जरूरत होती है, जोकि कई लोगों की जिंदगी को बदल दे। बाबासाहेब की तरह ही कुछ अन्य लीडर्स देश को एकजुट कर सकते हैं।’