पोपटलाल को हुआ जीवन साथी की कमी का अहसास
पत्रकार पोपटलाल को लॉकडाउन के कारण अपने घर के फुलटाइम बावर्ची होने का एहसास हो रहा है। वैसे तो उन्हें खुद के लिए खाना बनाना पड़ता था, लेकिन कम से कम उन्हें बाहर खाने, सहयोगियों और अन्य लोगों से मिलने का भी विकल्प था। हालांकि अब, घर पर ही अटके रहने के कारण, उनकी रोजमर्रा की दिनचर्या की वजह से उन्हें एक साथी की कमी महसूस होने लगी है। घर के वही काम रोज अकेले करते-करते, वह एक जीवन साथी के लिए तरस रहे हैं।पोपटलाल, चंपकलाल को समझाते है कि उन्हें घर के सभी काम खुद करने में कोई आपत्ति नहीं है, पर इसके कारण उनका जीवन बेस्वाद हो चुका है। यह सब सुनने के बाद चंपकलाल सोचते हैं कि सिर्फ पोपटलाल ही नहीं बल्कि सोसाइटी के सभी रहिवासी लॉकडाउन की पीड़ा से गुजर रहे हैं और इस समस्या का जल्द से जल्द कोई समाधान ढूंढ़ना पड़ेगा।
हर घर में परेशानी
अपने बेटे और सोसायटी के बाकी सदस्यों के जीवन में लॉकडाउन के चलते आ रही परेशानियों की जांच पड़ताल करने के लिए चंपकलाल सभी को बारी-बारी से फोन करते हैं। सबसे पहले वह माधवी को कॉल करते हैं। वह बताती है कि भिड़े आजकल अपने ऑनलाइन क्लासेस में इतना व्यस्त हो चुके हैं कि वह घर में होने के बावजूद भी उपलब्ध नहीं होते, उनके ऑनलाइन क्लासेस की लिस्ट घर में बिखरी पड़ी रहती है। चंपकलाल अगला फोन कोमल हाथी को मिलाते हैं। वह अपने कहती हैं कि किस तरह वह गोली के खाने, सोने, ऑनलाइन मूवीज, शोज और गेमिंग से परेशान हो गयी हैं। डॉ. हाथी लगातार अपने कॉल्स पर व्यस्त होने के कारण कोमल को खुद ही घर की सारी भाग-दौड़ करनी पड़ती है। रोशन का भी यही हाल है। सोढ़ी हर वक्त सिर्फ पार्टी के बारे में सोचते रहते हैं।
तनाव में सोसायटी के महिला-पुरुष
चंपकलाल फिर बबीता को फोन लगाते हैं। वह उन्हें अय्यर को लेकर हो रही चिंता के बारे में बताती है। अय्यर हर वक्त कोरोना वायरस के इलाज के विकास के बारे में पढ़ते, देखते रहते हैं। वह वैज्ञानिक समुदाय में हर छोटी जानकारी जानने में व्यस्त रहते हैं। आखिरकार चंपकलाल, अंजलि को फोन करते हैं, तो उनके घर का माहौल भी कुछ ऐसा ही हो चुका है। वह चंपक चाचा को बताती है कि उनके पति तारक अपने काम और बॉस को लेकर काफी तनाव महसूस कर रहे हैं। सुबह से रात देर तक वह अपने लैपटॉप में व्यस्त रहते हैं। यहां तक कि उन्हें एक शाम घर की डिनर डेट भी रद्द करनी पड़ी और नतीजन अंजलि को अकेले ही खाना पड़ा।