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तारक मेहता का उल्टा चश्मा: अपहरण से बचे बापूजी घर पहुंचे या नहीं, जानिए क्या हुआ इस कॉमेडी शो में

locationमुंबईPublished: Dec 09, 2019 07:32:07 pm

‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ ( Taarak Mehta Ka Ooltah Chashmah ) में चम्पक चाचा ( Champak Chacha ) का सामना कुछ कॉलेज के छात्रों से होता है, जो मदद करने के बदले उनके उनका फायदा उठाते हैं।

तारक मेहता का उल्टा चश्मा: अपहरण से बचे बापूजी को घर पहुंचने में नहीं मिली मदद

तारक मेहता का उल्टा चश्मा: अपहरण से बचे बापूजी को घर पहुंचने में नहीं मिली मदद

मुंबई। नीला फिल्म प्रोडक्शंस द्वारा निर्मित शो ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ ( Taarak Mehta Ka Ooltah Chashmah ) में चम्पक चाचा ( Champak Chacha ) की चश्मे के बगैर हालत ऐसे हो चुकी है जैसे संकटों ने कतार ही लगायी हुई है। दुर्भाग्य से बापूजी जिन लोगों के पास मदद मांगने जा रहे है वह उनकी मदद छोड़ उनका शोषण कर रहे है। खुद को अपहरण से बचाने के बाद उनका पाला एक अजनबी शराबी से पड़ जाता है। जो उन्हें गोकुलधाम सोसाइटी ( gokuldham society ) के बजाय बार में लेकर जाता है। अपनी गलती का अहसास होने के बाद बापूजी उस शराबी के चंगुल से तो निकल जाते हैं पर उन्हें क्या पता आगे क्या संकट खड़े हुए है।

तारक मेहता का उल्टा चश्मा: अपहरण से बचे बापूजी को घर पहुंचने में नहीं मिली मदद

बार से बाहर निकलते ही बापूजी रास्ता भटक जाते हैं। तब उनका सामना कुछ कॉलेज के छात्रों से होता है, जो मदद करने के बदले उनके उनका फायदा उठाते हैं। वह छात्र बापूजी को ऐसा अहसास दिलाते है कि अगर वे उन्हें कुछ पैसे जुटाने में मदद करेंगे तो वह बदले में उन्हें सही सलामत घर पंहुचा देंगे। यह कहकर वह छात्र बापूजी के हाथ में एक तख्ती थमा देते हैं जिसमे मदद करने का सन्देश लिखा हुआ होता है। राहगीरों से पैसा इकट्ठा होने के बाद वह छात्र जमा किये हुए पैसे बापूजी को देने के बजाय खुद लेकर भाग जाते हैं। बेचारे बापूजी फिर से ठगे जाने के बाद मदद मांगना शुरू करते हैं।

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तब एक और व्यक्ति उन्हें देखता है और बापूजी के समीप जाकर उन्हें बताता है कि उसे पता है कि गोकुलधाम सोसाइटी कहां है और उन्हें बस में जाने की सलाह भी देता है। और कोई विकल्प नहीं होने के कारण बापूजी बस में चढ़ जाते हैं। अब देखना यह होगा कि क्या वह बस बापूजी को सही दिशा में ले जा रही है या बापूजी फिर कोई मुसीबत में फसने वाले है?

गौरतलब है कि इससे पहले एक चोर ने बापूजी को सखाराम (स्कूटर) के साथ चुरा लिया और सड़क पर पुलिस की नाकाबंदी देखकर उन्हें बिच सड़क पर ही छोड़ कर चला गया। चोर के चुंगल से निकलने के बाद बेचारे बापूजी अकेले बेसहारा बिच सड़क पर खड़े होते है, तभी उनके एक व्यक्ति मिलता है जो शराब पिया हुआ है और बापूजी को अपने साथ लेकर ‘भिड़े बार’ नामक शराबखाने में लेकर चला जाता है। आखिरकार शराब सूंघने से उनको पता चलता है कि वह बार में बैठे हैं।

जहां एक तरफ बापूजी गली- गली भटक रहे हैं वहीं दूसरी तरफ जेठालाल ( jetha lal ) को पता चलता है कि बापूजी गायब हो गए तो वह सोसायटी वालों के साथ इंस्पेक्टर चालू पांडे के पास थाने में पहुंच जाते हैं।
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