यहां लगे हैं मेनिफोल्ड -लिक्विड प्लांट से जुड़े – मुख्य बिल्डिंग का मेनिफोल्ड/ बाल चिकित्सालय/ नर्सरी – 248/ 93/37- कार्डियोलॉजी/ट्रोमा/साइकेट्री- 238/88/60
– एसएस ब्लॉक- 250 – स्वाइन फ्लू वार्ड- 90- ये लिक्विड लाइन से जुड़े नहीं – जनाना हॉस्पिटल- 67- ये लिक्विड लाइन से जुड़े नहीं
—–
डॉ. टांक ने बताया कि जो पाइन्ट सीधी लाइन से जुड़े हैं, गाडिय़ों को एमबी व इएसआइसी व अन्य संबंधित हॉस्पिटलों से खाली सिलेंडर लेने, उन्हें गाड़ी में अपलोड करने, आदर्श व अर्नेस्ट ऑक्सीजन प्लांट से भरवाकर फिर से गाड़ी में भरकर लाने में करीब दो घंटे लगते हंै, इसमें ये ध्यान रखना होता है कि मेनिफोल्ड पर ऑक्सीजन सिलेंडर निरंतर बदले जाते रहे तो लाने वाली गाड़ी को बिना किसी रुकावट या दुर्घटना से बचते हुए हॉस्पिटल पहुंचाना होता है। ऐसे में यदि रिजर्व सिलेंडर बढ़े तो संकट दूर होगा।
क्षमता बढ़े तो फ्री होंगे 400 से अधिक सिलेंडर एनएचएम के सहायक अभियन्ता जीके दशोरा ने बताया कि स्वाइन फ्लू वार्ड, स्कीन वार्ड सहित पुराना जनाना हॉस्पिटल, जो अंडर मैन्टेंनेंस है, उनके विभिन्न वार्डों में करीब 160 पाइन्ट ऐसे हैं, जो लाइन से नहीं जुड़े हैं। जनाना में जो वर्तमान में हॉस्पिटल चल रहा है वहां भी जुड़े नहीं हैं। यहां नया प्लांट डालकर लाइन जोड़ी जाए या उपलब्ध प्लांट से मेनिफोल्ड जोड़े जाए तो 400 से अधिक सिलेंडर फ्री हो सकते हैं। स्वाइन फ्लू के समीप जनरेशन प्लांट की क्षमता यदि 400 सिलेंडर प्रतिदिन हो जाए तो काम होगा। अभी इस प्लांट से 100 सिलेंडर तैयार हो रहे हैं। लिक्विड प्लांट से लाइन का खर्च करीब 24 लाख है।