आरोप पत्र पेश होने पर लोक अभियोजक गणेश शंकर तिवारी ने १७ गवाह व ३६ दस्तावेज पेश किए तथा दलील दी कि आरोपी ने सरकारी नौकरी में हुए तीन माह तक निजी चिकित्सालय में काम कर वहां से भी वेतन उठाया। विशेष न्यायाधीश सेशन न्यायालय (भ्रष्टाचार निवारण मामलात) के पीठासीन अधिकारी सुनील कुमार पंचोली ने आरोपी चिकित्सक को भ्रष्टाचार की विभिन्न धाराओं में एक-एक वर्ष की कैद व दो-दो हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई। गौरतलब है कि ११ अक्टूबर २००६ को किशनलाल मीणा ने ब्यूरो में चिकित्सक के विरुद्ध शिकायत की थी कि उसके छोटे भाई अम्बालाल मीणा के साथ देवीलाल थावरचंद व रूपलाल ने मारपीट की।
शरीर पर गंभीर चोटें आने पर वह पुलिस की तहरीर लेकर चिकित्सक डॉ. चंदरकुमार के पास मेडिकल करवाने गया। चिकित्सक ने २०० रुपए मांगे। न्यायालय ने कहा चिकित्सक का आचरण भ्रष्ट
न्यायालय ने अपने निर्णय में लिखा कि बढ़ती हुई धन लोलुपता व तुच्छ महत्वांक्षाओं के चलते भ्रष्टाचार की समस्या नासूर बन चुकी है। आए दिन भ्रष्टाचार के मामले उजागर हो रहे है। इन मामलों में उत्तरोत्तर हो रही वृद्धि को देखते हुए ऐसा प्रतीत हो रहा है कि कानून का कोई भय ही नहीं रह गया।
न्यायालय ने अपने निर्णय में लिखा कि बढ़ती हुई धन लोलुपता व तुच्छ महत्वांक्षाओं के चलते भ्रष्टाचार की समस्या नासूर बन चुकी है। आए दिन भ्रष्टाचार के मामले उजागर हो रहे है। इन मामलों में उत्तरोत्तर हो रही वृद्धि को देखते हुए ऐसा प्रतीत हो रहा है कि कानून का कोई भय ही नहीं रह गया।
अनीति से धन अर्जित करने वालों के विरुद्ध सख्त रवैया अख्तियार किया जाना आवश्यक है ताकि ऐसे अपराधों को प्रभावी ढंग से रोका जा सके। लोक सेवक अपने पदीय कर्तव्यों का निवर्हन इमानदारी से करने के लिए कर्तव्यबद्ध है। अभियुक्त पेशे से चिकित्सक है, जिसने पथभ्रष्ट होकर अपने पदीय कर्तव्यों का निर्वहन करने के लिए रिश्वत लेकर भ्रष्ट आचरण किया है।