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दुर्लभ बीमारियों पर काबू पाने को 15 लाख से बनेगा मरीजों का ‘कवच

locationउदयपुरPublished: Jan 16, 2020 11:57:01 am

Submitted by:

bhuvanesh pandya

केन्द्र सरकार ने तैयार की राष्ट्रीय नीति – 2020

दुर्लभ बीमारियों पर काबू पाने को 15 लाख से बनेगा मरीजों का 'कवच

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भुवनेश पंडया
उदयपुर. सरकार ने दुर्लभ बीमारियों के लिए खास तौर पर नई राष्ट्रीय नीति- 2020 तैयार कर ली है। इन विशेष बीमारियों के उपचार के लिए केन्द्र सरकार 15 लाख रुपए तक की मदद देगी। आयुष्मान भारत, प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत पात्र मानी गई 40 फ ीसदी आबादी को भी इस नई नीति का लाभ मिलेगा। सहायता केवल सरकारी अस्पतालों में इलाज कराने पर ही दी जाएगी।
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स्वास्थ्य मंत्रालय ने 10 फ रवरी तक मांगे सुझाव
मसौदा नीति में भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के तहत एक रजिस्ट्री स्थापित करने का प्रस्ताव रखा गया है ताकि एक डेटाबेस तैयार कर आयुष्मान भारत योजना के लाभार्थियों को 15 लाख रुपए तक की मदद करने का लक्ष्य पूरा किया जा सके। 15 लाख रुपए तक की मदद उन गरीबों को देने का प्रस्ताव है, जो किसी ऐसी दुर्लभ बीमारी से पीडि़त है, जिसका किसी बड़े अस्पताल में एक बार में ही इलाज होता है। प्रस्ताव में ऐसे मरीजों की स्वेच्छा से मदद करने वालों के लिए भी प्लेटफ ार्म तैयार करने का सुझाव दिया गया है। साथ ही दुर्लभ बीमारियों का इलाज करने में सक्षम सरकारी अस्पतालों को नोटिफ ाइ करने की भी सलाह दी गई है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने 10 फरवरी तक इस मसौदे पर सभी पक्षों की राय मांगी है।
तीन श्रेणियों में वर्गीकृत
ड्राफ्ट पॉलिसी में दुर्लभ बीमारियों को तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है। ये श्रेणियां चिकित्सकीय अनुभवों और इलाज की उपलब्धता पर आधारित है।

– 7 से 8 हजार बीमारियां दुर्लभ श्रेणी में आती हैं, लेकिन 350 से 400 से भी कम का इलाज उपलब्ध है। करीब 95 प्रतिशत बीमारियों का कोई सर्वमान्य इलाज उपलब्ध नहीं है और 10 प्रतिशत से भी कम मरीजों को बीमारी विशेष का इलाज उपलब्ध हो पाता है। जिन बीमारियों की दवाइयां उपलब्ध भी हैं तो वे बेहद महंगी है।
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ये चिकित्सा संस्थान दुर्लभ बीमारियों के लिए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के तौर पर होंगे तैयार
– अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान,

नई दिल्ली
– मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज, नई दिल्ली

– संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, लखनऊ
– पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च, चंडीगढ़
– सेंटर फ ॉर डीएनए फिंगर प्रिंटिंग एंड डायग्नोस्टिक्स, हैदराबाद
– किंग एडवर्ड मेडिकल अस्पताल, मुंबई

– इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च, कोलकाता
– इंदिरा गांधी अस्पताल, बेंगलूरु के साथ सेंटर फ ॉर ह्यूमन जेनेटिक्स
लोगों को मिलेगा लाभ
इस नीति का लाभ आम लोगों को मिलेगा, अब तक दुर्लभ बीमारियों को लेकर जो समस्याएं थीं उसका निवारण होगा।

डॉ. लाखन पोसवाल, प्राचार्य, आरएनटी मेडिकल कॉलेज, उदयपुर

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