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बंद पड़े स्कूलों में और भेज दिया 23 हजार मैट्रिक टन पोषाहार

locationउदयपुरPublished: May 17, 2020 11:56:56 am

Submitted by:

jitendra paliwal

प्रदेशभर से सरकारी विद्यालयों में अनाज खराब होने का संकट, मिड-डे-मील आयुक्तालय ने एफसीआइ को दिए निर्देश

बंद पड़े स्कूलों में और भेज दिया 23 हजार मैट्रिक टन पोषाहार

बंद पड़े स्कूलों में और भेज दिया 23 हजार मैट्रिक टन पोषाहार

उदयपुर. प्रदेशभर में बंद पड़़े सरकारी विद्यालयों में मिड-डे-मील आयुक्तालय ने 22 हजार 974 मैट्रिक टन खाद्यान्न का आवंटन किया है, जबकि दो माह से बंद पड़े स्कूल्स में काफी मात्रा में अनाज पहले से पड़ा हुआ है, जिसका इस्तेमाल नहीं हुआ है। ऐसे में नए अनाज का भण्डारण और रखरखाव को लेकर संस्थाप्रधान चिंचित हैं। एफसीआइ से 31 मई तक खाद्यान्न नहीं उठाने पर लैप्स हो जाएगा।
शिक्षकों ने बताया कि मार्च के तीसरे सप्ताह से ही विद्यालय बंद हैं। करीब 50 दिन हो चुके हैं। इतने दिनों में जहां क्वारंटाइन सेंटर नहीं बनाए हैं, उन इलाकों के विद्यालयों में अनाज ज्यों का त्यों पड़ा है। नियमित उपयोग नहीं होने से व सार-सम्भाल के अभाव में इल्लियां-कीड़़े पड़ रहे हैं। हालांकि सरकार ने यह अनाज प्रशासन के सुपुर्द करने के निर्देश दिए थे, लेकिन वहीं से राशन उठाया गया है, जहां आसपास के इलाकों में जरूरत थी। आगामी 30 जून तक यानि डेढ़ महीने तक और विद्यालयों में अवकाश रहेगा। कोरोना के दौर में जब शिक्षक ही स्कूल नहीं जा रहे, ऐसे में नए आवंटित अनाज की सार-सम्भाल चुनौतीपूर्ण होगी। गत 25 अप्रेल को उपखण्ड अधिकारियों ने एक आदेश जारी कर विद्यालयों में पड़़े मिर्च-मसाले, मूंगफली, दालें, दलिया, पोहे, आटा आदि सामग्र्री पंचायत प्रारम्भिक शिक्षा अधिकारी के सुपुर्द करने के निर्देश दिए थे, जहां से जरूरतमंदों को बांटा गया।
कितना आवंटन हुआ?
– उदयपुर जिले में कक्षा एक से पांच और छह से आठ तक के तीन लाख 83 हजार 886 विद्यार्थियों के लिए 854.97 मैट्रिक टन गेहूं और 385.61 मै. टन चावल का आवंटन किया है।
– राजस्थान के सभी 33 जिलों के लिए 16082.26 एमटी गेहूं और 6892.40 एमटी चावल का आवंटन किया है।

पहले से पड़े सौ फीसदी अनाज का उपयोग कोरोना महामारी में ले लिया जाए। उसके बाद नए अनाज का आवंटन हो, तो बेहतर होगा।
शेर सिंह चौहान, शिक्षक नेता

विद्यालयों में भण्डारण की पर्याप्त व्यवस्थाएं हैं। इसलिए नए आवंटन से कोई समस्या नहीं आएगी। कोरोना के दौर में कभी भी जरूरत पड़ सकती है।
शिवजी गौड़, संयुक्त निदेशक, शिक्षा विभाग
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