दिसम्बर की शुरुआत से पहले पेंशन विभाग ने जीवित प्रमाण पत्र पेश करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। उदयपुर जिले में 25 हजार पेंशनर हैं, जिन्हें इसकी प्रक्रिया से गुजरना होगा। पेंशनर्स को कोष कार्यालय, उपकोष कार्यालय में प्रमाणपत्र देने होंगे। पेंशन विभाग की ओर से जीवित प्रमाण पत्र पेश करने की अन्तिम तिथि 31 मार्च तक बढ़ाई गई है। इस तिथि तक पेंशनर को कोष कार्यालय में उपस्थित होकर प्रमाण पत्र पेश करना होगा।
डिजिटल व्यवस्था, लेकिन संसाधन नहीं पेंशन विभाग में डिजिटल प्रमाण पत्र बनाने की व्यवस्था है, लेकिन संसाधनों की कमी है। लिहाजा पेंशन कार्यालय में यह काम सप्ताह में महज एक दिन ही किया जाएगा। उसमें भी 15 पेंशनर से ज्यादा का काम करना संभव नहीं होगा। ऐसे में अधिक संख्या में पेंशनर के पहुंचने पर डिजिटल प्रमाण पत्र के लिए भी चक्कर लगाने पड़ सकते हैं।
महज 10 फीसदी समय डिजिटल के लिए पेंशन कार्यालय में डिजिटल प्रमाण पत्र के लिए पीपीओ नम्बर, आधार कार्ड, रजिस्टर्ड मोबाइल नम्बर, बैंक पासबुक ले जानी है। सप्ताह में एक दिन बुधवार को दोपहर 2 से शाम 5 बजे तक ही जारी होंगे। अधिकतम 15 पेंशनरों के डिजिटल प्रमाण पत्र जारी किए जाएंगे। सप्ताह के 5 वर्किंग डे में 30 वर्किंग ऑवर होते हैं, जिसमें से डिजिटल प्रमाण पत्र 3 घंटे ही बनेंगे।
यह स्थिति जानें 25857 : पेंशनर है उदयपुर जिले में 14545 : पेंशनर उदयपुर शहरी क्षेत्र में 3040 : पेंशनर 80 वर्ष आयु पूर्ण कर चुके पेंशनर्स की ये परेशानी
– पेंशनभोगियों को पेंशन संवितरण एजेंसी में जीवन प्रमाण पत्र जमा कराना पड़ता है, तब ही पेंशन जारी रह पाती है। – जीवन प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए पेंशनभोगी को पेंशन संवितरण एजेंसी में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रहना पड़ता है।
– पेंशन के लिए संवितरण एजेंसी में व्यक्तिगत उपस्थित रहना और जीवन प्रमाण पत्र प्राप्त करना बड़ी समस्या है। – वृद्ध और शारीरिक कमजोर हैं और प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए व्यक्तिगत उपस्थित नहीं रह सकते, उन्हें समस्या होती है।
– कई पेंशनर सेवानिवृत्ति के बाद पेतृक गांव या परिवार के साथ चले जाते हैं, जिससे उन्हें कई मुश्किलों का सामना करना होता है। जिले में कहां कितने पेंशनर तहसील — पेंशनर्स
बडग़ांव — 1880 भींडर — 741 गिर्वा — 14545 गोगुंदा — 650 झाड़ोल — 459 कानोड़ — 339 खेरवाड़ा — 2078 कोटड़ा — 103 कुराबड़ — 204
लसाडिय़ा — 79 मावली — 1449 नयागांव — 230 ऋषभदेव — 518 सलूम्बर — 988 सराड़ा — 671 सेमारी– 73 वल्लभनगर — 850 सरकार के पास ऐसा सिस्टम ही नहीं है कि खुद ही पेंशनर का वेरिफिकेशन कर सके। ऐसे में मजबूरन पेंशनर को जीवित होने का प्रमाण देना होता है। जो शारीरिक रूप से सक्षम नहीं हैं, उनके सामने बड़ी परेशानी होती है। डिजिटल प्रमाण पत्र की व्यवस्था है, लेकिन संसाधन की कमी में सप्ताह में महज 3 घंटे के लिए व्यवस्था की गई। तकनीकी का युग है, ऐसा सिस्टम डेवलप होना चाहिए कि वयोवृद्ध पेंशनर को दफ्तर के चक्कर नहीं काटने पड़े।
भंवर सेठ, अध्यक्ष, पेंशनर समाज