script30 बेड के अस्पताल में रोज 400 रोगी आते, 60 होते भर्ती | 400 patients arrive in 30 bed hospital, 60 admitted | Patrika News

30 बेड के अस्पताल में रोज 400 रोगी आते, 60 होते भर्ती

locationउदयपुरPublished: Sep 12, 2019 02:19:26 am

Submitted by:

Pankaj

कानोड़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के बुरे हाल, आबादी की तुलना में नहीं बढ़े डॉक्टर और सुविधाएं, प्राइवेट क्लीनिक और नीम हकीमों के पास जाना मजबूरी

30 बेड के अस्पताल में रोज 400 रोगी आते, 60 होते भर्ती

30 बेड के अस्पताल में रोज 400 रोगी आते, 60 होते भर्ती

कानोड़ . सरकार की ओर से नि:शुल्क दवा, नि:शुल्क जांच समेत कई तरह की चिकित्सा योजनाएं संचालित है, लेकिन ग्रामीण स्तर पर स्थिति दयनीय है। बरसात के साथ ही जल जनित मौसमी बीमारियों के प्रकोप से हर कोई आहत है, वहीं सरकारी तौर पर चिकित्सा सुविधाओं का भारी अभाव है। इसी को लेकर राजस्थान पत्रिका ने हर गांव-कस्बे तक पहुंचकर पड़ताल की है। पेश है कानोड़ सीएचसी की रिपोर्ट-
क्षेत्र के 80 गांवों का सबसे बड़ा अस्पताल। नगर की आबादी भी करीब 15 हजार, लेकिन चिकित्सा व्यवस्थाएं लचर। नगर और गांवों की आबादी बढ़ी, लेकिन करीब 60 साल से संचालित अस्पताल की व्यवस्थाओं, सुविधाओं में उस अनुपात में इजाफा नहीं हो पाया। जरुरत के मुताबिक 100 बेड की क्षमता होनी चाहिए, लेकिन यहां है महज 30 बेड की व्यवस्था। ताज्जुब की बात तो ये कि यहां प्रतिदिन 400 रोगी आते हैं, उसमें से 60 भर्ती होते हैं, जबकि इतनी सुविधाएं ही नहीं है।
चिकित्सकों की भारी कमी के चलते सीएचसी में हर रोज रोगियों की कतारें लगी रहती है। उपचार के इंतजार में खड़े-खड़े मरीज बेहाल होकर जमीन पर बैठने को मजबूर हो जाते हैं। यहां लगने वाले समय का यूं अंदाजा लगाया जा सकता है कि उपचार के लिए अस्पताल आने का मतलब बाकी दिनभर में कोई काम नहीं हो सकता। आधे दिन से ज्यादा समय अस्पताल में ही गुजारना पड़ता है। पहले पर्ची, फिर परामर्श और इसके बाद दवा लेने के लिए कतार में लगना पड़ता है। इस बीच जांचें करवाने और इंजेक्शन पट्टी करवानी हो तो समय दुगुना हो जाता है। भर्ती मरीज तो जैसे-तैसे यहां से छुटकारा पाने की कामना करते हैं।
नर्सिंग स्टाफ भी आधा
सीएचसी में १४ नर्सिंगकर्मियों के पद स्वीकृत है। उसकी तुलना में महज 7 ही कार्यरत हैं। इसी तरह से अन्य पदों पर भी कर्मचारियों की भारी कमी है। लिहाजा आमजन को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
जनता झोलाछाप के भरोसे
सरकारी अस्पताल का नतीजा ये कि ग्रामीण जनता निजी क्लीनिक और झोलाछाप डॉक्टरों के पास जाने को मजबूर है। बड़ी बात ये कि चिकित्सा विभाग को हालात पता है, इसके बावजूद कार्रवाई नहीं हो पाती। वजह ये भी कि खुद चिकित्सा विभाग अपने अस्पतालों में सुविधाएं मुहैया नहीं करवा पा रहा है। झोलाछाप पर कार्रवाई हुई तो सरकारी अस्पताल में भीड़ दुगुनी हो जाएगी, जो विभाग के लिए बड़ा सिर दर्द साबित होगी।
सुविधाएं मांगेंगे
आबादी के अनुसार राजकीय चिकित्सालय में स्टाफ नहीं होने से रोगियों को परेशान होना पड़ा रहा है। झोलाछाप जनता के साथ खिलवाड़ करते हैं। शिकायत पूर्व में भी की गई। जो कार्रवाई हुई, औपचारिक हुई। चिकित्सालय में सुविधाएं बढ़ाने की मांग की जाएगी। सुविधाएं बढ़े तो आमजन निसंकोच सरकारी अस्पताल में ही जाएंगे।
अनिल कुमार शर्मा, अध्यक्ष, नगर पालिका कानोड़

सुधार के प्रयास कर रहे
चिकित्सालय की व्यवस्था सुधार के प्रयास जारी है। उच्चाधिकारियों को स्टाफ की जानकारी भी दे रखी है। विभाग की जिम्मेदारी है कि अवैध क्लीनिक संचालित नहीं हो। ऐसी कोई शिकायत नहीं मिली है। जल्द ही जानकारी जुटाकर कार्रवाई करेंगे।
डॉ. महेन्द्र लौहार, ब्लॉक चिकित्साधिकारी, भीण्डर

नए चिकित्सक आने पर संख्या बढ़ाएंगे
राजकीय चिकित्सालय में चिकित्सकों की संख्या कम है। राज्य सरकार से भर्ती में नई नियुक्तियां होते ही चिकित्सकों की संख्या बढ़ाई जाएगी। झोलाछाप के विरुद्ध समय-समय पर कार्रवाई होती रही है। आगे भी कार्रवाई जारी रहेगी। इस संबंध में बीसीएमएचओ को भी निर्देशित कर रखा है।
डॉ. दिनेश खराड़ी, सीएमएचओ, उदयपुर

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