-आठ राज्यों के दो हजार से अधिक शिशु रोग विशेषज्ञों ने रखा मत
– नोर्थ जोन कान्फ्रेंस की वर्चुअल आयोजन में उभरे महत्वपूर्ण विचार
उत्तर भारत में अभी भी 50 प्रतिशत शिशु कुपोषित
भुवनेश पंड्या उदयपुर. भारतीय शिशु अकादमी की नोर्थ जोन कॉन्फ्रेंस का आयोजन उदयपुर की शाखा की ओर से वर्चुअल प्लेटफ ॉर्म पर आयोजित किया गया। इस आयोजन में ऑनलाइन 8 राज्यों के 2000 से ज्यादा शिशु रोग विशषज्ञों ने भाग लिया। 2 दिन तक चलने वाली इस कॉन्फ्रें स में 90 राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय वक्ताओं ने व्याख्यान दिए। भारतीय शिशु अकादमी के 5 वर्तमान व पूर्व अध्यक्षों ने व्याख्यान दिए। दिल्ली के डॉ पीयूष गुप्ता ने बताया कि उत्तर भारत में अभी भी लगभग 50 प्रतिशत शिशु कुपोषित हैं। पिछले एक दशक में जन्म के एक घंटे में शिशु को स्तनपान कराने की प्रवृति तो बढ़ी है, परंतु उसके बाद 6 माह की उम्र तक केवल स्तनपान कि प्रवृति में कोई खास परिवर्तन नहीं हुआ है। इसी प्रकार अन्य वक्ताओं ने भी बच्चों की बीमारियों से लेकर आने वाली परेशानियों को कैसे हल किया जाए इस पर चर्चा की। आयोजन समिति के अध्यक्ष डॉ लाखन पोसवाल ने बताया कि 2 दिवसीय इस कान्फ्रेस में अमरीका व कनाडा के शिशु रोग विशषज्ञों ने व्याख्यान दिए। सूरत के डॉ दिगंत शास्त्री ने बच्चों में लंबे समय तक चलने वाली खांसी के विभिन्न कारणों के बारे में बताया।
वर्चुअल उद्घाटन समारोह में भारतीय शिशु अकादमी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुम्बई के डाक्टर बकुल पारीक, सचिव डाक्टर बसवराज, पूर्व अध्यक्ष डाक्टर संतोष सोंस उपाध्याय, डाक्टर आनंद वासुदेव, स्थानीय सचिव डाक्टर मनोज अग्रवाल, डॉ. मोहम्मद आसिफ साइंटिफिक कमेटी चेयरमेन, डॉ. पुनीत जैन, डॉ. आर एल सुमन, डॉ. देवेंद्र सरीन, डॉ. सुरेश गोयल सहित सभी स्थानीय शिशु रोग विशषज्ञों ने भाग लिया।