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नए साल की शुरुआत में सुविवि में होगा कुछ ऐसा कि कम होंगे 50 हजार विद्यार्थी, जानें पूरा मामला

locationउदयपुरPublished: Dec 21, 2017 01:38:52 pm

Submitted by:

bhuvanesh pandya

सुविवि के पास अब रहेंगे चार जिले… गोविन्दगुरु जनजातीय विश्वविद्यालय बांसवाडा के हिस्से आए तीन जिले

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उदयपुर . नए वर्ष की शुरुआत से ही दक्षिणी राजस्थान के दोनों विश्वविद्यालयों में जिले बंट जाएंगे। उदयपुर के सुखाडिय़ा विश्वविद्यालय के हिस्से उदयपुर, राजसमन्द, चित्तौडगढ़़ और सिरोही रहेंगे, जबकि बांसवाड़ा के गोविन्दगुरु जनजातीय विवि के हिस्से में तीन जिलों बांसवाड़ा, डूंगरपुर और प्रतापगढ़ के विद्यार्थी शामिल होंगे। वर्तमान में करीब सवा दो लाख विद्यार्थी इन सात जिलों के हैं, जिनमें से करीब 50 हजार विद्यार्थी गोविन्दगुरु विश्वविद्यालय के हिस्से आएंगे।

ऐसे होगी परीक्षाएं : वर्ष 2018 की बांसवाड़ा, डूंगरपुर और प्रतापगढ़ जिलों के प्रथम वर्ष स्नातक व स्नातकोत्तर पूर्वाद्र्ध की परीक्षाएं गोविन्दगुरु विश्वविद्यालय बांसवाड़ा से होंगी, जबकि द्वितीय वर्ष, तृतीय वर्ष और एमए उत्तराद्र्ध की परीक्षाएं सुखाडिय़ा विश्वविद्यालय करवाएगा। मोहनलाल सुखाडिय़ा विश्वविद्यालय नाक एक्रिडेटेड ए ग्रेड विश्वविद्यालय है, जबकि गोविन्दगुरु विवि पहले 2012 और स्थान परिवर्तन के बाद वर्ष 2016 से यहां सक्रिय हुआ।

इस नए वर्ष से सुविवि और गोविन्दगुरु विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को अलग-अलग कर दिया जाएगा। दोनों की परीक्षाएं अलग होने लगेंगी। इससे सुखाडिय़ा विश्वविद्यालय का भार कम होगा। अब करीब 50 हजार विद्यार्थी कम हो जाएंगे।
आरसी कुमावत, परीक्षा नियंत्रक, सुखाडिय़ा विश्वविद्यालय, उदयपुर
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आयुक्त ने सूचना के लिए एमपीयूएटी को किया पाबंद
उदयपुर. महाराणा प्रताप कृषि प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय को सूचना आयोग ने फटकार लगाई है। आयुक्त आशुतोष शर्मा ने विश्वविद्यालय को कहा कि किसी भी संदर्भ की गलत व्याख्या नहीं कर मांगी गई सूचनाएं उपलब्ध कराई जाए। प्रकरण के अनुसार सेवानिवृत्त प्रोफेसर डॉ. पी.सी. कंठालिया ने सेवानिवृत्त कर्मियों के भुगतान और वेतनमान के बारे में सूचनाएं मांगी थीं। जवाब मिला कि किसी भी प्राध्यापक को छठे वेतनमान के एरियर पर ब्याज नहीं दिया गया। जवाब से असंतुष्ट प्रो. कंठालिया ने सेवानिवृत्त प्राध्यापक एस.एन. पण्ड्या का उदाहरण देते हुए प्रथम अपील कुलपति को इसी साल 16 मई को दायर की। आग्रह किया कि अन्य सेवानिवृत्त प्राध्यापकों को भी छठे वेतनमान पर दिए एरियर एवं ब्याज का विवरण दिया जाए। परन्तु विश्वविद्यालय प्रशासन ने गम्भीरता से नहीं लिया। इस पर 20 जून को राजस्थान सूचना आयुक्त कार्यालय में द्वितीय अपील दायर की गई। इस पर विश्वविद्यालय ने पुन: गलत व्याख्या कर सूचना आयुक्त को जवाब पेश किया कि किसी भी सेवारत प्राध्यापक को छठे वेतनमान के एरियर पर ब्याज नहीं दिया गया। कंठालिया ने आयोग को बताया कि उन्होंने सेवानिवृत्त कर्मियों के बारे में ही सूचना मांगी थी क्योंकि न्यायालय का आदेश सेवानिवृत्त कर्मियों के बारे में ही था। विश्वविद्यालय सेवारत प्राध्यापकों के बारे में बताकर सूचना नहीं देने का बहाना बना रहा है। सूचना आयुक्त आशुतोष शर्मा ने इसे मानते हुए राज्य लोक सूचना अधिकारी एवं एमपीयूएटी कुल सचिव को आदेश दिया कि आदेश मिलने के 21 दिन में अपीलार्थी को मांगी गई सूचना रजिस्टर्ड डाक से भिजवाएं।
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