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पूरा परिवार करता है सहयोग वे अब दान देने में भी पीछे नहीं है। इस काम में पूरा परिवार उनका दिल खोलकर सहयोग करता है और इसके बाद उन्हें एक ऐसा सुकून मिलता है जिन्हें शब्द देना मुश्किल है। मां जतनदेवी पोरवाल, पत्नी डॉ. आशा पोरवाल, दो बेटे अश्विन पोरवाल, वेदान्त पोरवाल व बेटी विदुषि उन्हें बेहद सहयोग कर रहे हैं। इससे उन्हें संबंल मिल रहा है। बकौल डॉ. पोरवाल एमबी में बनाए चार मंजिला कोटेज में 17 कक्ष, 1 सेमिनार रूम, दो ऑपरेशन विंग व चार वार्ड है। उन्होंने बताया कि एमबी में इन्फोर्मेशन सेंटर हेरिटेज लुक में बना रहे हैं, इसका खर्च उनके भाई हेमन्त पोरवाल के साथ मिलकर वे ही उठाएंगे। यह जनाना हॉस्पिटल व पुराने भवन के बीच में बनाया जा रहा है। डॉ. पोरवाल का कहना है कि किसी भी जरूरतमंद को मदद करने से सुकून मिलता है, जैसे एक हजार रुपए कमाने से ज्यादा अच्छा किसी की 100 रुपए मदद करने में लगता है।
पूरा परिवार करता है सहयोग वे अब दान देने में भी पीछे नहीं है। इस काम में पूरा परिवार उनका दिल खोलकर सहयोग करता है और इसके बाद उन्हें एक ऐसा सुकून मिलता है जिन्हें शब्द देना मुश्किल है। मां जतनदेवी पोरवाल, पत्नी डॉ. आशा पोरवाल, दो बेटे अश्विन पोरवाल, वेदान्त पोरवाल व बेटी विदुषि उन्हें बेहद सहयोग कर रहे हैं। इससे उन्हें संबंल मिल रहा है। बकौल डॉ. पोरवाल एमबी में बनाए चार मंजिला कोटेज में 17 कक्ष, 1 सेमिनार रूम, दो ऑपरेशन विंग व चार वार्ड है। उन्होंने बताया कि एमबी में इन्फोर्मेशन सेंटर हेरिटेज लुक में बना रहे हैं, इसका खर्च उनके भाई हेमन्त पोरवाल के साथ मिलकर वे ही उठाएंगे। यह जनाना हॉस्पिटल व पुराने भवन के बीच में बनाया जा रहा है। डॉ. पोरवाल का कहना है कि किसी भी जरूरतमंद को मदद करने से सुकून मिलता है, जैसे एक हजार रुपए कमाने से ज्यादा अच्छा किसी की 100 रुपए मदद करने में लगता है।