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विलायती बबूल ने कर दिया चरागाहों को तबाह, उपजाऊ जमीन भी हुई बंजर

locationउदयपुरPublished: Oct 02, 2019 08:13:52 pm

Submitted by:

madhulika singh

40 साल पूर्व विलायती बबूल प्रदेश में आया तो वन विभाग ने भी इसे लगाया था, लेकिन बाद में इसे रोक दिया गया

विलायती बबूल ने कर दिया चरागाहों को तबाह, उपजाऊ जमीन भी हुई बंजर

विलायती बबूल ने कर दिया चरागाहों को तबाह, उपजाऊ जमीन भी हुई बंजर

चंदनसिंह देवड़ा/उदयपुर. वर्षों पहले विदेशी धरती से पूना और फिर मारवाड़ में लाकर फेंके गए विलायती बबूल के बीज से समूचे प्रदेश ही नहीं इसके बाहर भी इसका साम्राज्य इस कदर फैल गया है कि इससे भारी नुकसान होने लग गए हैं। विलायती बबूल की वजह से कई चरागाह तबाह हो गए हैं। वहीं सालों से देखरेख के अभाव में पड़ी उपजाऊ जमीन भी इसकी वजह से बंजर हो गई है। कम पानी के चलते यह बबूल खराब से खराब जमीन में भी उग आता है और इसकी छाया में न तो घास पनप पाती है और न ही कोई दूसरे वनस्पति पौधे उसर सकते हैैं। इसकी छांव में फसलें तक नहीं होती है। पर्यावरण विशेषज्ञों की मानें तो इसे रोकने के उचित प्रबंधन की जरूरत है नहीं तो घातक परिणाम झेलने पड़ सकते हैैंैं।

कभी वन विभाग भी लगाता था बबूल

करीब 40 साल पूर्व जब यह विलायती बबूल प्रदेश में आया तो वन विभाग ने भी इसे लगाया था, लेकिन बाद में इसे रोक दिया गया। आज स्थिति यह है कि इसकी फलियां जानवर खाते हैं, जिससे बीज एक जगह से दूसरे जगह पर गए और यह फैलता चला गया। पड़त और बंजर जमीन पर यह तेजी से फैल रहा है। ग्रामीण क्षेत्र में कांटेदार होने के बावजूद पहले इसे काटकर लकडिय़ां जलाने के काम मे ली जाती थी तो यह ज्यादा पनप नहीं पाया। बाद में जब से गैस चूल्हे का उपयोग बढ़ा इसे लोगों ने काटना कम कर दिया और अब इसके फैलाव में तेजी आ गई है।

पर्यावरण समिति भी चिंतित..

पिछले दिनों उदयपुर आई विधानसभा की पर्यावरण समिति के समक्ष मावली विधायक धर्मनारायण जोशी ने विलायती बबूल से हो रहे नुकसान की बात उठाई। इस पर समिति ने गंभीरता दिखाई थी। प्रशासनिक अधिकारियों ने कहा कि विलायती बबूल को ग्राम पंचायत स्तर पर नरेगा जैसे कार्यों में लेकर हटाया जा सकता है, लेकिन इसे जड़ से निकालने में मशीनरी का उपयोग करना पड़ेगा। पौधरोपण करने वाले कॉर्पोरेट्स घरानों से भी इस दिशा में काम करने को कहा गया है और दूसरे पौधे इस जगह लगाने के सुझाव दिए गए थे।

इनका कहना….

विलायती बबूल से सैकड़ो बीघा चरागाह जमीनों पर घास खत्म हो गई है। इससे दूसरे पौधे नहीं पनप पा रहे हैं। समय रहते इसे रोकने के प्रयास नहीं हुए तो कांटो का यह जंगल जमीनों को बंजर कर देगा। इसके लिए पंचायतें अभियान चलाकर इसे जड़ सहित निकाले तो काम बनेगा।
धर्मनारायण जोशी, मावली विधायक
रेगिस्तान में कटाव रोकने के लिए विलायती बबूल (प्रोसोपिस जूली फ्लोरा) के बीज डाले थे। इसके फायदे यह हुए कि कटाव कम हुआ। फलियां जानवार खाते हैं। सस्ती जलाऊ लकड़ी और पशु-पक्षियों को पनाह मिलती। अब स्थिति यह हो गई है कि इसका फैलाव सघन जंगल की तरह बढ़ गया है। इसने उपजाऊ जमीन को बंजर बनाना शुरू कर दिया है। सभी विभाग चरणबद्ध तरीके इसे रोके तो काम बनेगा। उचित प्रबंधन होना चाहिए। छोटे स्तर पर इसे काटने से यह झाडिय़ों में बदल रहा है।
डॉ. सतीश शर्मा,पर्यावरणविद
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