यह था मामला
प्रकरण के तहत राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई) के बजट के तहत शुरू हुआ गिर प्रोजेक्ट कायदे से 5 साल तक पूरा होना था। इसके तहत प्रोजेक्ट में पहले साल 100 और इसके अगले साल यानी दूसरे साल में प्रोजेक्ट में गिर नस्ल की 200 गाय खरीदी जानी थी, लेकिन प्रोजेक्ट के जिम्मेदारों ने 6 साल की अवधि में केवल 100 गाय ही खरीदी और 200 गायों के नाम पर गायों के भरण-पोषण का बिल उठाते रहे। प्रोजेक्ट में ही गायों का वजन तोलने के लिए एक लाख लागत की बजाय 8 लाख लागत का ट्रक तोलने वाला कांटा लगाया गया। पांच साल के प्रोजेक्ट में सातवें वर्ष का अतिरिक्त बजट मांगा गया, लेकिन आज तक भी प्रोजेक्ट आत्म निर्भर नहीं हो सका। प्रोजेक्ट में तय लागत से हटकर यहां गायों के बजट का उपयोग आधुनिक संशाधनों एवं सुविधाओं पर खर्च हुआ।
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गौरतलब है कि राजस्थान पत्रिका ने गिर प्रोजेक्ट में हुई गड़बडिय़ों को लेकर 20 फरवरी को ‘आत्म निर्भर नहीं प्रोजेक्ट, गिर गायों पर संकट, 21 को ‘फिडिंग प्लांट पर बर्बाद किए लाखों रुपए, 22 फरवरी को ‘सात वर्ष में मात्र एक फीसदी से भी कम उपलब्धि, 23 को ‘खरीदी 100, उठाते रहे 200 गायों का खर्चा, 24 को ‘किसका भला? पशुओं का या खुद का, 25 फरवरी को ‘हमसे सीखा ब्राजील, खुद ने बिसराया, जैसी खबरों के माध्यम से पूरे गड़बड़झाले का खुलासा किया था।
गौरतलब है कि राजस्थान पत्रिका ने गिर प्रोजेक्ट में हुई गड़बडिय़ों को लेकर 20 फरवरी को ‘आत्म निर्भर नहीं प्रोजेक्ट, गिर गायों पर संकट, 21 को ‘फिडिंग प्लांट पर बर्बाद किए लाखों रुपए, 22 फरवरी को ‘सात वर्ष में मात्र एक फीसदी से भी कम उपलब्धि, 23 को ‘खरीदी 100, उठाते रहे 200 गायों का खर्चा, 24 को ‘किसका भला? पशुओं का या खुद का, 25 फरवरी को ‘हमसे सीखा ब्राजील, खुद ने बिसराया, जैसी खबरों के माध्यम से पूरे गड़बड़झाले का खुलासा किया था।
क्लीनचिट पर सवाल
खास बात यह है कि पूरे मामले की राज्यपाल स्तर पर हुई शिकायत के बाद विवि प्रशासन ने औपचारिकता पूरी करने के लिए जांच दल बनाया था, जिसने बिना तथ्यों को जांचे विवि प्रशासन को जांच रिपोर्ट सौंपकर क्लीनचिट दे दी थी। इसके बाद विवि प्रशासन ने पूरे मामले को दबा दिया था।
खास बात यह है कि पूरे मामले की राज्यपाल स्तर पर हुई शिकायत के बाद विवि प्रशासन ने औपचारिकता पूरी करने के लिए जांच दल बनाया था, जिसने बिना तथ्यों को जांचे विवि प्रशासन को जांच रिपोर्ट सौंपकर क्लीनचिट दे दी थी। इसके बाद विवि प्रशासन ने पूरे मामले को दबा दिया था।
दर्ज किया परिवाद
मुख्यालय के आदेश पर परिवाद दर्ज किया है। अब इस पूरे मामले की जांच की जाएगी। – हरीशचंद्रसिंह, सीआई, एसीबी उदयपुर हम करेंगे सहयोग
किसी मामले में एसीबी ने परिवाद दर्ज किया है तो हमारे स्तर पर उनकी जांच में पूरा सहयोग दिया जाएगा। – डॉ. आर.के. धूरिया, डीन, पशु चिकित्सा महाविद्यालय