अधिकमास में क्या करें
अधिकमास में आमतौर पर व्रत-उपवास, पूजा.-पाठ, ध्यान , भजन-कीर्तन किए जाते हैं। पौराणिक सिद्धांतों के अनुसार इस मास के दौरान यज्ञ-हवन के अलावा श्रीमद् देवीभागवत, श्री भागवत पुराण, श्री विष्णु पुराण, भविष्योत्तर पुराण आदि का श्रवण, पठन करना विशेष फलदायी होता है। जगदीश मंदिर के पुजारी हुकुमराज ने बताया कि भागवत कथा का आयोजन होगा।
हर तीन साल में ही क्यों
ज्योतिष सूर्यमास और चंद्रमास की गणना के अनुसार चलता है। अधिकमास चंद्र वर्ष का एक अतिरिक्त भाग है, जो हर 32 माह, 16 दिन और 8 घड़ी के अंतर से आता है। इसका प्राकट्य सूर्य वर्ष और चंद्र वर्ष के बीच अंतर का संतुलन बनाने के लिए होता है। भारतीय गणना पद्धति के अनुसार प्रत्येक सूर्य वर्ष 365 दिन और करीब 6 घंटे का होता है, वहीं चंद्र वर्ष 354 दिनों का माना जाता है। दोनों वर्षों के बीच लगभग 11 दिनों का अंतर होता है, जो हर तीन वर्ष में लगभग 1 मास के बराबर हो जाता है। इसी अंतर को पाटने के लिए हर तीन साल में एक चंद्रमास अस्तित्व में आता है। अतिरिक्त होने के कारण इसे अधिकमास कहा जाता है।