स्थानीय गांव में सिर्फ 700 किलो बन रहा मावा व्यापारियों का कहना है कि दुकानों पर वल्लभनगर, कुराबड़ व आसपास के गांव में बनने वाले मावा बिक रहा है। प्रतिदिन करीब 700 किलो मावे की आवक है, लेकिन ज्यादा है। त्योहारी व शादी के सीजन में चार गुना मांग होने पर कतिपय लोग यह मिलावट का खेल खेल रहे हैं। मिलावट का यह माल अलसुबह गुजरात से आने वाली वीडियो कोच बसों में आता है। धरपकड़ के चलते व्यापारी इन्हें सविना, उदियापोल व पारस तिराहे के आसपास ही उतार लेते है। सुबह 9 से 10 के बीच यह अधिकांश जगह सप्लाई होता है। दो से तीन दिन पुराने गुजरात के मीठे मावे को यह हल्का गर्म करके भी कलाकंद के नाम से बाजार में बिक रहा है।
देसी मावे की आवक 700 किग्रा अधिकांश व्यापारी वल्लनगर व आसपास के गांव के बने देसी मावे का ही व्यवसाय कर रहे है। देसी मावे की आवक सिर्फ 700 किलोग्राम है। शादी व त्योहारी सीजन में मावा की मांग चार गुना होने पर कतिपय लोग मिलावटी मावा मंगवाकर सभी को बदनाम करते हैं। प्रशासन से मांग है कि वे हर सीजन में इसकी जांच करे।
पुरुषोत्तमलाल साहू, उदयपुर जिला मावा विक्रेता एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष