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गुजरात व महाराष्ट्र में आ रहा बाजार में, मिलावटखोर 140 रुपए में खरीद रहे

locationउदयपुरPublished: Oct 11, 2019 07:08:38 pm

Submitted by:

madhulika singh

प्रशासन से जांच की व्यापारियों ने भी की मांग

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fake sweets

उदयपुर. चार किलो दूध से एक किलो फीका मावा और बनाने मेंं कीमत आ रही करीब 180 रुपए प्रतिकिलो, फिर भी बाहर से आने वाला मीठा मावा महज 140 रुपए प्रतिकिलों मिलावटखोरों के पास पहुंच रहा है। इससे मावे के व्यापारी हैरान है कि यह आखिर किसका बन रहा है। इसके अलावा गुजरात व धौलपुर से आने वाला हलवा भी मिल्क केक के नाम से ग्रामीण क्षेत्रों में सप्लाई हो रहा है। मिल्क केक को दानेदार बनाने के लिए इसमें भी गड़बड़ी की पूरी आशंका है।मिलावटी मावे की यह पोल बुधवार को सीएमएचओ कार्यालय की ओर से एक दुकान से मावे के नमूनों के बाद पड़ताल में हुई। मावा व्यवसायियों का कहना है कि शहर में कतिपय लोग गुजरात व महाराष्ट्र में प्रतिबंधित मीठा मावा व हलवे के नाम से आने वाले मिल्क केक को मंगवा रहे हैं। कुछ मावा धौलपुर से आ रहा है, जिसमें भी गड़बड़ी की आशंका है। त्योहारी व शादी सीजन में अत्याधिक मात्रा में आने वाले स्थानीय मावे से भी ज्यादा इसकी बिक्री हो रही है। अहमदाबाद से आने वाले 140 रुपए किलो के मावे को स्थानीय कुछ लोग जिले के आदिवासी बहुल इलाके अलावा डूंगरपुर, बांसवाड़ा में धड़ल्ले से बेच रहे है।

स्थानीय गांव में सिर्फ 700 किलो बन रहा मावा

व्यापारियों का कहना है कि दुकानों पर वल्लभनगर, कुराबड़ व आसपास के गांव में बनने वाले मावा बिक रहा है। प्रतिदिन करीब 700 किलो मावे की आवक है, लेकिन ज्यादा है। त्योहारी व शादी के सीजन में चार गुना मांग होने पर कतिपय लोग यह मिलावट का खेल खेल रहे हैं। मिलावट का यह माल अलसुबह गुजरात से आने वाली वीडियो कोच बसों में आता है। धरपकड़ के चलते व्यापारी इन्हें सविना, उदियापोल व पारस तिराहे के आसपास ही उतार लेते है। सुबह 9 से 10 के बीच यह अधिकांश जगह सप्लाई होता है। दो से तीन दिन पुराने गुजरात के मीठे मावे को यह हल्का गर्म करके भी कलाकंद के नाम से बाजार में बिक रहा है।

देसी मावे की आवक 700 किग्रा

अधिकांश व्यापारी वल्लनगर व आसपास के गांव के बने देसी मावे का ही व्यवसाय कर रहे है। देसी मावे की आवक सिर्फ 700 किलोग्राम है। शादी व त्योहारी सीजन में मावा की मांग चार गुना होने पर कतिपय लोग मिलावटी मावा मंगवाकर सभी को बदनाम करते हैं। प्रशासन से मांग है कि वे हर सीजन में इसकी जांच करे।

पुरुषोत्तमलाल साहू, उदयपुर जिला मावा विक्रेता एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष

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