scriptनल कनेक्शन कटवाने के 12 साल बाद आया बिल तो उपभोक्ता ने उठाया यह कदम, अभियंता ने स्वीकारी भूल | After 12 years of tap connections found Bill, plea made in court | Patrika News

नल कनेक्शन कटवाने के 12 साल बाद आया बिल तो उपभोक्ता ने उठाया यह कदम, अभियंता ने स्वीकारी भूल

locationउदयपुरPublished: Apr 18, 2019 03:58:50 pm

Submitted by:

Mohammed illiyas

नल कनेक्शन कटवाने के 12 वर्ष के बाद जनवास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग ने एक उपभोक्ता को साढ़े पांच हजार का बिल थमाते हुए जोर कर झटका दे दिया। शिकायत करने पर विभाग ने चक्कर कटवाने के साथ ही बिल जमा करवाने का दबाव बनाया।

मोहम्मद इलियास/उदयपुर . नल कनेक्शन कटवाने के 12 वर्ष के बाद जनवास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग ने एक उपभोक्ता को साढ़े पांच हजार का बिल थमाते हुए जोर कर झटका दे दिया। शिकायत करने पर विभाग ने चक्कर कटवाने के साथ ही बिल जमा करवाने का दबाव बनाया। मजबूरन परिवादी को न्यायालय की शरण लेनी पड़ी। स्थायी लोक अदालत का नोटिस पहुंचते ही सहायक अभियंता ने उपस्थित होकर भूल स्वीकारी। न्यायालय के अध्यक्ष के.बी.कट्टा, सदस्य सुशील कोठारी व बृजेन्द्र जैन ने मामले का निस्तारण कर विपक्षी को आदेश दिया कि वह परिवादी को मानसिक संताप व परिवाद व्यय के दो हजार रुपए अलग से अदा करे।

कोलीवाड़ा हाल चित्रकूटनगर निवासी भगवतीलाल बागड़ी ने सहायक अभियंता जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग उपखंड द्वितीय व तृतीय के खिलाफ वाद दायर किया था। परिवादी ने बताया कि नल कनेक्शन की आवश्यकता होने पर 4 सितम्बर 2001 को विपक्षी के कार्यालय में 1100 रुपए जमा करवाकर न्यू कनेक्शन की रसीद प्राप्त की।दो दिन के बाद मीटर लगा कर नया कनेक्शन दिया गया। पांच वर्ष के बाद परिवादी को नल कनेक्शन की आवश्यकता नहीं होने पर 7 मार्च 2006 को विपक्षी को आवेदन कर मीटर खोलने का निवेदन किया। विपक्षी के मीटर खोलने पर उसने 1631 रुपए का अंतिम बिल जमा करवाकर रसीद प्राप्त कर ली। कनेक्शन कटवाने के 12 साल के बाद विपक्षी ने परिवादी को 26 दिसम्बर 2018 को 5516 रुपए का बिल जारी किया। परिवादी ने कार्यालय में सम्पर्क किया तो कोई जवाब नहीं देकर बिल जमा करवाने पर जोर डाला गया। परिवादी ने अधिवक्ता निशांत बागड़ी के मार्फत एक नोटिस भी भिजवाया लेकिन उन्होंने यह कहते हुए लेने से इनकार कर दिया कि यह राजस्व उपखंड नहीं नगर उपखंड है।

बाद में एक नोटिस उपखंड कार्यालय में प्रेषित किया गया। इसके बावजूद विपक्षी ने कोई जवाब नहीं दिया। इस संबंध में वाद दायर होने पर स्थायी लोक अदालत ने विपक्षी को नोटिस भेजा तो नगर उपखंड के सहायक अभियंता न्यायालय में उपस्थित हुए। अभियंता ने भूलवश परिवादी को गलती से बिल जारी करने का कथन किया।
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