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ढ़ाई सौ बीघा में 30 करोड़ रुपए खर्च कर बसाया खेल गांव ठेके के प्रशिक्षकों के भरोसे, फांकने लगा धूल

locationउदयपुरPublished: Jul 15, 2021 09:27:23 am

Submitted by:

bhuvanesh pandya

केवल चार ही नियमित कोच – अन्य सभी प्रशिक्षक अनुबंध पर
– खेल अधिकारी तक सेवानिवृत्ति के बाद कर रहे एक्सटेंशन पर कार्य
 

ढ़ाई सौ बीघा में 30 करोड़ रुपए खर्च कर बसाया खेल गांव ठेके के प्रशिक्षकों के भरोसे, फांकने लगा धूल

ढ़ाई सौ बीघा में 30 करोड़ रुपए खर्च कर बसाया खेल गांव ठेके के प्रशिक्षकों के भरोसे, फांकने लगा धूल

भुवनेश पंड्या

उदयपुर. शहर में 30 करोड़ रुपए खर्च कर बसाया खेल गांव ठेके के प्रशिक्षकों के भरोसे हैं। सुविधाओं का विकास तो हो रहा है, लेकिन अपेक्षाकृत खिलाडिय़ों की संख्या कम हैं, तो केवल चार ही प्रशिक्षक चंद खेलों में खिलाडिय़ों को तैयार कर रहे हैं। अन्य खेलों में अनुबंध के आधार पर प्रशिक्षक कार्यरत हैं। खास बात ये है कि यहां पर राजस्थान का सबसे बड़ा मल्टीपरपज इंडोर हॉल तैयार हो रहा है, जो कोरोना के कारण अटका हुआ है। इसे करीब 25 करोड़ की लागत से तैयार किया जा रहा है। इतने मोटे खर्च के बावजूद यहां पर विभागानुसार विभिन्न खेलों के केवल 384 खिलाड़ी प्रशिक्षित हो रहे हैं। खिलाडिय़ों की कम संख्या व नियमित नहीं होने से अधिकांश मैदान व कोर्ट क्रिकेट मैदान की तरह ही अब धूल फांकने लगे हैं।
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इन खेलों में इतने खिलाड़ी ले रहे प्रशिक्षण (राजस्थान स्टेट स्पोट्र्स काउंसिल द्वारा नियुक्त प्रशिक्षकों के प्रशिक्षणार्थी)

खेल- प्रशिक्षणार्थी

हॉकी-40

बैडमिंटन- 34

क्रिकेट- 40

तैराकी- 18

वालीबॉल- 45
जूड़ो-24

जिम्नास्टिक- 10

बॉक्सींग- 7

0तीरंदाजी- 35-

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पे एण्ड प्ले योजना

लॉन टेनिस- 30

शूटिंग- 28

क्रिकेट- 1

2स्केटिंग-8

तैराकी- कोरोना में बंद
जिम- 22

योगा- 22

स्क्वेश- 8

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ये प्रशिक्षक है स्थाई, इन नामों को छोड़ दिया जाए तो अन्य सभी प्रशिक्षक अनुबंध पर काम कर रहे हैं। खेल गांव के हाल देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि कैसे हम हीरे तराशेंगे। यहां खेल गांव के खेल अधिकारी ललित सिंह झाला भी सेवानिवृत्ति के बाद एक्टसटेंशन पर काम कर रहे हैं।
तैराकी- महेश पालीवाल

क्रिकेट- दिलीप भंडारी

जूड़ो- हिमांशु राजौरा

बॉक्सींग- नरपतसिंह

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ये है कोर्ट व खेल की व्यवस्थाएं – खेलगांव में खेलों के लिए आधारभूत सुविधाओं का विकास तो किया गया, लेकिन यहां इनका बेहतर रखरखाव राष्ट्रीय या अन्तरराष्ट्रीय स्तर का नहीं है।
– हॉकी के लिए कुछ समय पहले तैयार हुए एस्ट्रोटर्फ व स्वीमिंग पुल को छोड़ दे तो अधिकांश मैदान या कोर्ट अपेक्षाकृत बेहतर रखरखाव वाले नहीं है।

– करोड़ों रुपए खर्च कर तैयार किया गया क्रिकेट मैदान खस्ताहाल हो चुका है, यहां मैदान के चारो और बैठने के लिए बनाई गई सीढिय़ों से लेकर पूरे मैदान में घास निकल आई है, यहां फिलहाल तो मैदान खेलने की स्थिति में ही नहीं है।
– यहां पर तीरदांजी एकेडमी स्पोट्र्स काउंसिल ने खोली थी, लेकिन कोरोना के बाद से ही करीब दो वर्ष से बंद पड़ी है।

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इनके कोर्ट व मैदान है खेल गांव में – हॉकी एस्ट्रोटर्फ – तैराकी- स्क्वेश- वुडन – सिंडर टे्रक-दौड़- आर्चरी रेंज – जूडो बॉक्सींग हॉल – 10 मीटर शूटिंग रेंज – 2 कबड्डी कोर्ट – 2 सिंथेटिक कोर्ट बॉस्केटबॉल – 4 लॉन टेनिस सिंथेटिक कोर्ट
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ये है भविष्य की योजनाएं – हाल में जनजाति विकास विभाग के माध्यम से यहां हॉकी के लिए बालक व बालिकाओं की चयन ट्रायल शुरू की गई है। हॉकी एकेडमी अगस्त में शुरू होगी। – खस्ताहाल क्रिकेट मैदान को फिर से तैयार करने के लिए 25 लाख रुपए खर्च कर तीन टर्फ तैयार किए जाएंगे। – राजस्थान का सबसे बड़ा मल्टीपरपज इन्डोर हॉल निर्माणाधीन है। इसमें हैंंडबॉल, बास्केटबॉल, वॉलीबॉल, बैडमिंटन, टीटी, जिम्नास्टिक, जूड़ो हो सकेंगे।
-7 करोड़ के एथलेटिक्स सिंथेटिक कोर्ट तैयार किए जाएंगे।

– 15 लाख का ऑर्चरी कोर्ट जनजाति विभाग के माध्यम से तैयार होगा।

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हम जल्द ही यहां पर शहर से सिटी बस शुरू करवा रहे हैं, ताकि ज्यादा से ज्यादा खिलाड़ी आ सके। कोरोनाकाल में गतिविधियां बंद थी, लेकिन अब इसमें तेजी लाएंगे, जल्द ही हम कई नवाचार कर रहे हैं, जिसका भविष्य में लोगों को फायदा मिलेगा। ललितसिंह झाला, खेल अधिकारी खेल गांव

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